वाराणसी विकास प्राधिकरण(वी.डी.ए.) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) के बीच आज यानि बुधवार को एक समझौता हुआ है. इसके तहत, शहर के बीच असि नदी के पुनरुद्धार को लेकर एक सहयोगात्मक प्रयास आरंभ किया गया है. आईआईटी (बीएचयू) और वाराणसी विकास प्राधिकरण के बीच एक समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.) पर हस्ताक्षर किया गया.
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अधिशासी अभियंता ने किया हस्ताक्षर
समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.) के अवसर पर एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. आईआईटी (बीएचयू) के सिविल अभियांत्रिकी विभाग के प्रमुख आचार्य एस.एस. मंडल और वाराणसी विकास प्राधिकरण के अधिशासी अभियंता आनंद मिश्रा ने एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर किए.
कबीर और तुलसीदास के श्लोकों की मदद से असि नदी का समझाया महत्व
सिविल अभियांत्रिकी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एस.एस. मंडल के एक मार्मिक कथन में परियोजना का सार समाहित था. “सुरम्य धारा हैं वरुणा असि, नहाये जिनमें कबीर तुलसी।” समारोह में शामिल लोगों के द्वारा असि नदी के सांस्कृतिक, सामाजिक, पर्यावरणीय और आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डाला गया. वहीं कबीर और तुलसीदास जैसे संतों के नदी के साथ जोड़कर इसका महत्व समझाया गया. इस सहयोगात्मक प्रयास से नदी के पुनरुद्धार, पर्यावरण संरक्षण और वाराणसी में असि नदी के भावनात्मक जुड़ाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है ताकि इस मुहावरे को साकार किया जा सके.
यह रहे शामिल
इस समारोह में आईआईटी (बीएचयू) के निदेशक आचार्य अमित पात्रा और वीडीए के उपाध्यक्ष आईएएस पुलकित गर्ग तथा संस्थान के अधिष्ठाता (अनुसंधान एवं विकास) आचार्य विकास कुमार दुबे, अन्य अधिष्ठातागण, वरिष्ठ आचार्य तथा वी.डी.ए. के प्रतिनिधियों सहित अन्य लोगों ने सहभागिता की.
असि नदी से तत्काल हटवाएं अतिक्रमण : डीएम
बता दें कि जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने भी वाराणसी के विकास को लेकर एक मीटिंग में असि नदी के आसपास अतिक्रमण को तत्काल प्रभाव से हटवाने का आदेश दिया है. उन्होंने नगवा, रविदास पार्क, कंचनपुर, कर्मजीतपुर, सरायनंदन आदि क्षेत्रों से भी अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए. वहीं सिंचाई विभाग के अभियंता को असि नदी फ्लड प्लेन जोन का निर्धारण करने के लिए कहा ताकि उसकी सीमा में आने वाले अतिक्रमण का सर्वे कर आगे आवश्यक कार्रवाई की जा सके.