भारत के बाद जापान ने लॉन्च किया मून मिशन….

0

भारत के बाद जापान ने भी मून मिशन लांच कर दिया है। बुधवार को जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी JAXA ने घरेलू H-IIA रॉकेट के जरिये चंद्रयान स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून लॉन्च किया है। जापान के SLIM को चंद्रमा की सतह पर अपने लक्ष्य स्थल के 100 मीटर के भीतर उतारना है। 100 मिलियन डॉलर की मिशन की फरवरी तक लैंडिंग शुरू होने की उम्मीद है। इसरो ने JAXA को SLIM की सफल लॉन्चिंग के लिए बधाई दी।

इसरो ने एक्स के माध्यम से जापान को उसके मून मिशन की बधाई देते हुए कहा है कि, लिखा कि चंद्रमा पर एसएलआईएम लैंडर के सफल प्रक्षेपण पर @JAXA_en को बधाई। जापान ने मिशन की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग के बाद कहा कि, एक्स-रे इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी मिशन (एक्सआरआईएसएम), और स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून (एसएलआईएम) को 7 सितंबर 2023 की सुबह 8:42:11 पर व्हीकल नंबर 47 (एच-आईआईए एफ47) से तनेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया।

तीन बार टला मिशन

आपको बता दें कि, जापान की अंतरिक्ष एजेंसी को पिछले महीने एक हफ्ते में तीन बार अपना मिशन को टालना पडा था, इसके पीछे की वजह खराब मौसम बताई जा रही है। इसकी वजह से जापान अंतरिक्ष एजेंसी को मून मिशन की लॉन्चिंग की तारीख में बदलाव करना पड़ा, लेकिन आखिरकार जापान ऐसा करने में सफल रहा है।तनेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से H-IIA (एच2ए) रॉकेट के जरिए यह लॉन्चिंग की गई। जापानी एयरोस्पेश एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) द्वारा लॉन्च किया जाने वाले मून मिशन ‘मून स्नाइपर’ में रॉकेट एक लैंडर को ले जाएगा। इसके चार से छह महीने में चंद्रमा की सतह पर पहुंचने की उम्मीद है।

13 मिनट बाद लांच हुआ मून मिशन

JAXA द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, ‘लॉन्च के करीब 13 मिनट बाद रॉकेट ने एक्स-रे इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी मिशन (एक्सआरआईएसएम) नामक एक उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया, जो आकाशगंगाओं के बीच स्थित चीजों की गति और संरचना को मापेगा। इससे मिली जानकारी यह अध्ययन करने में मदद करेगी कि आकाशीय पिंडों का निर्माण कैसे हुआ। साथ ही उम्मीद है कि ब्रह्मांड का निर्माण कैसे हुआ इस रहस्य को सुलझाने में भी मदद मिल सकती है।’

राइस स्पेस इंस्टीट्यूट के निदेशक डेविड अलेक्जेंडर का मानना है कि यह मिशन गर्म प्लाज्मा या ब्रह्मांड के अधिकांश हिस्से को बनाने वाले अत्यधिक गर्म पदार्थ के गुणों के बारे में जानकारी देने के लिए महत्वपूर्ण है। प्लाज्मा का उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, जिसमें घावों को ठीक करना, कंप्यूटर चिप्स बनाना और पर्यावरण को साफ करना शामिल है।

also read : क्या है G20 मोबाइल ऐप, क्यों दे रहे पीएम मोदी इसको डाउनलोड करने की सलाह … 

जापान के मून मिशन का क्या लक्ष्य

जापान ने अपने इस मून मिशन को खास तौर पर ब्रह्मांड के निर्माण की जांच के लिए डिजाइन किया है। इसमें एक एक्स-रे इमेजिंग उपग्रह भी होगा। इसके अलावा एक स्मार्ट लैंडर भी भेजा गया है। यह चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने की कोशिश करेगा। जापानी अंतरिक्ष एजेंसी मून स्नाइपर को एच2ए रॉकेट के जरिए चांद पर भेज रही है। मून स्नाइपर में हाई टेक्नोलॉजी के कैमरे लगे हुए हैं, जो चांद को समझने के लिए काम करेगा।

गौरतलब है, जापान काफी लंबे समय से अपने मून मिशन पर काम कर रहा है। जापान के मून मिशन में कई चीजें शामिल हैं। इस मिशन के तहत चंद्रमा पर जांच करने के लिए स्मार्ट लैंडर को उतारना है। जापानी रॉकेट में स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून एक हल्का चंद्र लैंडर भी मौजूद है। अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, स्मार्ट लैंडर लॉन्च के बाद तीन या चार महीने तक चंद्रमा की कक्षा में नहीं जाएगा और संभवतः अगले साल की शुरुआत में लैंडिंग का प्रयास करेगा।

 

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More