‘हंसा’ का एक हिस्सा मेरे अंदर रहता है : सुप्रिया पाठक

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फिल्म इंडस्ट्री की सशक्त अभिनेत्री सुप्रिया पाठक ने कई यादगार भूमिकाएं निभाईं, लेकिन धारावाहिक खिचड़ी की हंसा के रूप में उन्होंने एक अलग ही छाप छोड़ी है। इन दिनों छोटे पर्दे पर फिर लौटकर आई खिचड़ी में सुप्रिया चौथी बार इस किरदार में नजर आ रही हैं। खिचड़ी शो का अपनी जिंदगी में महत्व बताते हुए सुप्रिया कहती हैं, ‘खिचड़ी शो ही हमारी जिंदगी का अहम किरदार बन चुका है। आज के दौर में जहां लोग हर चीज में उलझ रहे हैं, हर चीज को बहुत सीरियसली लेने लगे हैं, ऐसे में, जब मैं खिचड़ी देखती हूं, तो मुझे खुशी महसूस होती है। कुछ पल के लिए मैं अपना सारा तनाव भूल जाती हूं। हंसा मेरे लिए बहुत खास है।

हंसा का एक हिस्सा मेरे अंदर रहता है

अब तो जैसे उसका एक हिस्सा मेरे अंदर हमेशा रहता है। हालांकि, पहली बार जब हमने हंसा को क्रिएट किया था, तब मेरे लिए यह सोचना बहुत मुश्किल था कि मैं ऐसा किरदार कर रही हूं जिस पर किसी चीज का असर नहीं पड़ता। असल जिंदगी में मैं बिल्कुल वैसी नहीं हूं। हंसा स्ट्रेस-फ्री किरदार है। वह कुछ सोचती नहीं है, जबकि मैं हमेशा कुछ न कुछ सोचती रहती हूं। इसलिए मेरे लिए बहुत अजीब था हंसा की तरह सोच पाना। लेकिन फिर मैंने एक रिद्म ढूंढ ही लिया।

हंसा का रोल करके तनावमु्क्त हो जाती हूं

उसके बाद तो मुझे मजा आने लगा, क्योंकि वह रोल करते वक्त मैं तनावमुक्त हो जाती थी। अब तो जब भी खिचड़ी करने की बात चलती है, तो मैं बहुत खुश हो जाती हूं। जब भी टेंशन होती है, तो खिचड़ी की बहुत याद आती है। ऐसा लगता है कि चलो खिचड़ी करते हैं।’ इन दिनों बनने वाले ऐतिहासिक-पौराणिक शो पर सुप्रिया कहती हैं, ‘पौराणिक कथाओं को लेकर आजकल जो नया नजरिया सामने आ रहा है, वह मुझे बहुत इंट्रेस्टिंग लगता है।

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हंसा मुझे तनावमुक्त कर देती है

जैसे अमीश त्रिपाठी ने शिव या राम को लेकर एक नया नजरिया दिया है। मैं खुद कहानियां लिखती हूं, तो एक ऐसी किताब से मैं बहुत प्रभावित हुई हूं। मैं उस पर कुछ करना चाहती हूं।’सुप्रिया पाठक ने रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण स्टारर गोलियों की रासलीला राम-लीला में नेगेटिव किरदार निभाया था। इस तरह के प्रयोग के बारे में वह कहती हैं, ‘मैं उस रोल के लिए संजय लीला भंसाली की शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने मेरे बारे में कुछ अलग सोचा। मैं बिल्कुल ऐसे और प्रयोग करना चाहूंगी। मैं बहुत अलग-अलग तरह के किरदार निभाना चाहती हूं।

मैं कई तरह की विलेन बन सकती हूं

मेरे पास बहुत स्कोप है। मैं कई तरह की विलेन बन सकती हूं, कई तरह के कॉमिक किरदार निभा सकती हूं। मैं बहुत सेल्फिश ऐक्टर हूं। मैं एक रोल करके संतुष्ट नहीं होती।’ वहीं रियल जिंदगी में अपने फेवरिट रोल के बारे में सुप्रिया कहती हैं, ‘ रियल लाइफ में दादी का रोल बेस्ट है। मेरी गुड़िया (शाहिद और मीरा कपूर की बेटी मीशा) मुझे जान से ज्यादा प्यारी है। वह बहुत ही ज्यादा प्यारी है। उसके बारे में क्या कहूं!’ सुप्रिया के बेटे रुहान भी ऐक्टिंग में हाथ आजमाने जा रहे हैं। ऐसे में वह अपने परिवार को ऐक्टिंग के बारे में क्या टिप्स देती हैं?

लंदन में एक्टिंग सीख रहा है रुहान

इस सवाल के जवाब में सुप्रिया कहती हैं, ‘रुहान अभी लंदन से ऐक्टिंग में एमए कर रहे हैं। उनका कोर्स जून-जुलाई में पूरा होगा, फिर वह सोचेंगे कि वह किस तरह से शुरुआत करना चाहते हैं। वैसे भी, आजकल के बच्चे मां-बाप की तो सुनते नहीं है। वे खुद ही तय करते हैं कि क्या करना चाहते हैं। अब, जैसे मैं नहीं चाहती थी कि सना ऐक्टिंग में आए, लेकिन वह भी आ गई। उसने अभी एक फिल्म पूरी की है। मेरे परिवार में कोई टिप्स नहीं देता। सभी को आजादी है कि वह एक-दूसरे के काम की कमी या अच्छाई खुलकर बता सकता है।

16 साल पहले शुरू हुआ था खिचड़ी का सफर

सुप्रिया पाठक ने 16 साल पहले खिचड़ी में पहली बार काम किया था। तब और अब के दौर में काम के स्तर पर वह क्या अंतर पाती हैं? इस सवाल के जवाब में वह कहती हैं, ‘मेरे हिसाब से माहौल बदल गया है। लोग कहते हैं कि आज सब-कुछ फास्ट हो गया है, वक्त ज्यादा लगता है, लेकिन मेरे हिसाब से वक्त से ज्यादा अहम है कि आप कैसे लोगों के साथ काम कर रहे हैं। आज के जमाने में टीवी में वह माहौल ही नहीं है। हम चाहे भी तो अच्छा काम नहीं कर सकते। इसके लिए निर्माताओं को सोचना होगा कि वे कितना नया सोच सकते हैं, कितने नए किरदार हमें निभाने के लिए दे सकते हैं।’

हमारी इंडस्ट्री में एक उम्र के बाद ऐक्ट्रेसेज को काम नहीं मिलता या उन्हें एक खांचे में फिट कर दिया जाता है। पिछले दिनों सीनियर ऐक्ट्रेस नीना गुप्ता ने भी काम की उम्मीद करते हुए एक पोस्ट किया था। इस पर अपनी राय देते हुए सुप्रिया कहती हैं, ‘हमारी इंडस्ट्री में यह दिक्कत तो है। मैं आपकी बात से सहमत हूं कि हमारे यहां जिस तरह की फिल्में या टीवी शो बनते हैं, उनमें ऐसा होता है। लेकिन अब ये चीजें बदल रही हैं। अभी अलग-अलग किस्म की फिल्में बनने लगी हैं। मैं उम्मीद करती हूं कि यह बदलाव मेरे रहते-रहते हो जाए, जिससे मुझे अलग-अलग तरह से रोल मिलने लगे।

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