लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सोलर प्लांट प्रोजेक्ट से जुड़ी घूसखोरी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी जांच शुरू कर दी है. बता दें कि इन्वेस्ट यूपी के पूर्व CEO और IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश के निलंबन के बाद अब ED ने इस पूरे मामले में गहराई से पड़ताल करने का निर्णय लिया है. ED के जोनल कार्यालय ने लखनऊ पुलिस से इस मामले की पूरी जानकारी मांगी है.
दस्तावज मिलने के बाद की जा सकती है पूछताछ
जानकारी मिल रही है कि लखनऊ पुलिस से FIR और दस्तावेज मिलने के बाद ED निकांत जैन को कस्टडी में लेकर पूछताछ कर सकती है. वहीं, कहा जा रहा है कि इस मामले में पूछताछ के लिए अभिषेक प्रकाश को भी बुलाया जा सकता है.
सूत्रों के मुताबिक ED ने लखनऊ पुलिस से आधिकारिक रूप से दस्तावेज मिलने से पहले ही अपने स्तर से दस्तावेज जुटाने शुरू कर दिए हैं. जांच एजेंसी शासन से भी संबंधित सोलर प्लांट के DPR, उसे पास करने की प्रक्रिया से जुड़े सभी अधिकारियों का भी ब्योरा जुटाएगी. इस संबंध में ED की तरफ से शासन को पत्र लिखा जाएगा.
फॉरेंसिक जांच में जुटी पुलिस
कहा जा रहा है कि निकांत जैन के पास से बरामद दो मोबाइल फोन को फॉरेंसिक जांच के लिए लैब भेजा गया है. पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उसने किन-किन लोगों से बातचीत की, कौन-कौन से संदेश डिलीट किए और भ्रष्टाचार से जुड़े कौन से अहम सबूत अब भी बरामद किए जा सकते हैं.
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जानें क्या है मामला…
सूत्रों के अनुसार, ED ने लखनऊ पुलिस से आधिकारिक रूप से दस्तावेज मिलने से पहले ही अपनी ओर से जांच शुरू कर दी है. निकांत जैन और उसके भाई सुकांत जैन की 12 कंपनियों की भूमिका की भी समीक्षा की जा रही है. जांच एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इन कंपनियों का इस भ्रष्टाचार में क्या योगदान था और क्या इनके जरिए धन का कोई अवैध लेन-देन हुआ.
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एसएईएल सोलर पी6 प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने उत्तर प्रदेश में सोलर एनर्जी उपकरणों के निर्माण के लिए 7,000 करोड़ रुपये की एक परियोजना का प्रस्ताव इन्वेस्ट यूपी के पास रखा था. आरोप है कि इन्वेस्ट यूपी के अधिकारियों ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के बदले 5% कमीशन की मांग की थी.