Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने आज एक अहम मामले में सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने आदेश में कहा कि जो भी महिला लिव इन में 16 साल तक साथ रहती है तो वह उसके बाद दुराचार का आरोप नहीं लगा सकती है. मामला था कि महिला को शादी का झांसा देकर उसके साथ यौन उत्पीड़न किया गया था लेकिन दोनों में 16 साल का संबंध था.
रिश्ते में बल और धोखे की बात नहीं…
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस बिक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच के कहा कि शादी के वादे को तोड़ना बलात्कार नहीं. जब तक यह साबित न हो जाए कि आरोपी का शुरुआत से ही महिला से शादी का इरादा नहीं था. 16 साल तक जारी बिना रुके यौन संबंध को देखते हुए यह निष्कर्ष निकाला गया कि रिश्ते में कभी बल या धोखे की बात नहीं थी.
ALSO READ : Holashtak 2025: होलाष्टक कल से शुरू, इन नियमों का करें पालन…
महिला ने पहले विरोध क्यों नहीं किया…
बता दें कि कोर्ट ने कहा कि, शिकायकर्ता एक शिक्षित और एक अच्छी स्थिति वाली महिला है. इनका इतने दिनों तक यौन उत्पीड़न सहन करना आश्चर्यजनक है. अदालत ने कहा कि इतनी लंबी अवधि के दौरान महिला ने कभी ऐसा प्रश्न क्यों नहीं उठाया. साथ ही महिला ने केवल तब FIR की जब पुरुष ने दूसरी शादी कर ली.
ALSO READ: 25 शिकार से इलाके में दहशत, वन विभाग के कब्जे में खूंखार टाइगर
लंबे समय से रिश्ते में रहना दोषी ठहराना अन्यायपूर्ण…
कोर्ट ने कहा कि 16 वर्षों से सहमति से जारी संबंध में आरोपी को शादी के झांसे के आधार पर बलात्कार का दोषी ठहराना बहुत ही अन्यायपूर्ण होगा. अदालत ने यह भी नोट किया कि शिकायतकर्ता के स्वयं के विवाह संबंधी दावों और आरोपों में विरोधाभास है. इससे यह स्पष्ट होता है कि दोनों एक साथ रहते थे लेकिन आरोपी के खिलाफ कानून का जारी रखना दुरुपयोग होगा.