स्पेसएक्स ने लॉन्च किया दुनिया का सबसे शक्तिशाली रॉकेट
अब इतिहास नए सिरे से लिखा जा रहा है, मंज़िल है मंगल ग्रह और मक़सद है इंसान को वहां पहुंचाना। ‘फ़ॉल्कन हेवी’ नाम के इस विशाल रॉकेट ने केप केनावेराल स्थित अमरीकी अंतरिक्ष संस्था नासा के जॉन एफ़ कैनैडी स्पेस सेंटर से मंगलवार को स्थानीय समयानुसार बजे उड़ान भरी। ये रॉकेट एक प्राइवेट कंपनी ‘स्पेसएक्स’ ने लॉन्च किया है।
‘फ़ॉल्कन हेवी’ के टैंक में एक टेस्ला कार रखी गई है। ये गाड़ी अंतरिक्ष की कक्षा में पहुंचने वाली पहली कार होगी। ये रॉकेट कैनेडी सेंटर के उसी LC-39A प्लेटफ़ॉर्म से लॉन्च किया गया है जहां से अपोलो मिशन रवाना हुआ था। चंद्रमा पर मनुष्य के पहुंचने की घटना के बाद ये वो घड़ी थी जिसका पूरी दुनिया में इंतज़ार किया जा रहा था।
केप केनावेराल में इस मौके का गवाह बनने के लिए बड़ी तादाद में लोग इकट्ठा थे। टेस्ला और स्पेसएक्स ये दोनों ही अरबपति कारोबारी एलन मस्क की कंपनियां हैं। एलन मस्क ‘फ़ॉल्कन हेवी’ जैसे भारी-भरकम रॉकेट का इस्तेमाल मंगल ग्रह के लिए भविष्य के अभियानों में करना चाहते हैं। ‘फ़ॉल्कन हेवी’ अंतरिक्ष के सफर पर 11 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ़्तार से निकला है।
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ये रॉकेट 70 मीटर लंबा है और अंतरिक्ष की कक्षा में ये 64 टन वजन स्थापित कर सकता है। ये वजन पांच डबल डेकर बसों के बराबर है। इसकी क्षमता को केवल सैटर्न-V एयरक्राफ़्ट मात दे सकता है। 60 और 70 के दशक में अपोलो अभियानों के दौरान सैटर्न-V एयरक्राफ़्ट इस्तेमाल लाया गया था। मौजूदा वक्त में बाकी रॉकेट अपने साथ जितना भार ले जा सकते हैं, फ़ॉल्कन हेवी उससे दोगुना भार को ले जाने की क्षमता रखता है।
स्पेस एक्स के सीईओ के अनुसार इस रॉकेट की पहली उड़ान की सफलता 50 प्रतिशत थी लेकिन यह सफलतापूर्वक लॉन्च होने में कामयाब रहा। हालांकि पहली उड़ान के खतरों को देखते हुए इस रॉकेट के साथ इलोन मस्क की पुरानी लाल रंग की टेस्ला स्पोर्ट्स कार को रखा गया है। इस कार की ड्राइविंग सीट पर स्पेस सूट पहने व्यक्ति का बुत रखा गया है।
अगर ये रॉकेट अपनी उड़ान के सभी चरणों में कामयाब रहा तो टेस्ला कार और उसके मुसाफिर को सूर्य के आस-पास अंडाकार कक्षा में पहुंचा देगा। और वो जगह मंगल ग्रह के काफी पास होगी। हालांकि इस उड़ान की कामयाबी की जानकारी उड़ान के कम से कम साढ़े छह घंटे के भीतर पता चल जाएगा। एलन मस्क ने संवाददाताओं से कहा, “कार अंतरिक्ष की कक्षा में पृथ्वी से 400 मिलियन किलोमीटर की दूरी तय करके पहुंचेगा और इसकी रफ़्तार होगी 11 किलोमीटर प्रति सेकेंड।”
(साभार- बीबीसी हिंदी)