अखिलेश यादव और असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ लंबित याचिका पर फैसला 2 सितंबर को

ज्ञानवापी स्थित तालाब में नमाजियों द्वारा गंदगी करने और वहां मिले शिवलिंग पर अपने बयान से हिंदुओं की भावना आहत करने का आरोप लगाते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव, एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग को लेकर पुनरीक्षण याचिका पर हुई सुनवाई.

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ज्ञानवापी स्थित तालाब में नमाजियों द्वारा गंदगी करने और वहां मिले शिवलिंग पर अपने बयान से हिंदुओं की भावना आहत करने का आरोप लगाते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव, एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग को लेकर पुनरीक्षण याचिका पर हुई सुनवाई में अपर जिला जज (नवम) विनोद कुमार की कोर्ट में अखिलेश व ओवैसी के वकीलों की ओर से जवाब दाखिल किया. उन्होंने अदालत में कहा कि दोनों के बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है. इस मुद्दे को धार्मिक रूप देकर मुकदमा दर्ज कराने की मांग आधारहीन है. मामले में बहस पूरी हो चुकी है और अदालत ने फैसला सुनाने के लिए दो सितंबर की तारीख तय की है.

पुनरीक्षण याचिका दाखिल

वहीं पुनरीक्षण याचिका दायर करने वाले वकील हरिशंकर पांडेय और अजय प्रताप सिंह ने कहा कि निचली अदालत का आदेश सही नहीं था. एसीजेएम पंचम (एमपी- एमएलए) की अदालत ने हरिशंकर पांडेय के प्रार्थना पत्र को 14 फरवरी 2023 को निरस्त कर दिया था. हरिशंकर पांडेय ने जिला जज की अदालत में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की थी.

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दोनों नेताओं के बयान

अखिलेश यादव ने कहा पीपल के पेड़ के नीचे पत्थर रख कर झंडा लगा दो, तो वहीं भगवान और शिवलिंग हैं. वहीं असदुद्दीन ओवैसी ने कहा हम अब किसी और मस्जिद को खोने नहीं देंगे. ज्ञानवापी पर आया फैसला पूजा स्थल अधिनियम 1991 के खिलाफ है.

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ये भविष्य में ऐसे बहुत से मसलों को खोल देगा, जिससे देश में अस्थिरता पैदा हो सकती है.

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