आईएएस अधिकारी मोहम्मद मुस्तफा ने सरकार से मांगी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति

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सार्वजनिक उपक्रम विभाग के प्रमुख सचिव आईएएस अधिकारी मोहम्मद मुस्तफा ने सरकार से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन किया है. बता दें कि वर्ष 1995 बैच के आईएएस अधिकारी मोहम्मद मुस्तफा अलग-अलग सरकारों के समय में महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं.

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कई अधिकारी ले रहे हैं वीआरएस

पिछले कुछ सालों में लगातार आईपीएस अधिकारी वीआरएस ले रहे हैं. इससे उत्तर प्रदेश की अफसरशाही के माहौल को लेकर सवाल खड़े होते हैं. पिछले दो वर्षों में यूपी से कई अफसर वीआरएस ले चुके हैं. इसमें 1987 बैच की आईएएस रेणुका कुमार, 1988 बैच की जुथिका पाटणकर, 2003 बैच के विकास गोठलवाल और 2008 बैच के आईएएस विद्या भूषण के नाम भी शामिल हैं. इससे पहले उत्तर प्रदेश कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजीव अग्रवाल ने इस्तीफा देकर निजी कंपनी में बड़े पद पर नौकरी कर ली थी.

नौकरी में मन न लगना बताई वजह

आईएएस अधिकारी मोहम्मद मुस्तफा का कहना है कि उनका मन अब नौकरी में नहीं लग रहा है. इसलिए उन्होंने अपने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते सरकार से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देने का अनुरोध किया है.

आईएएस अधिकारियों की ताकत दिन पर दिन हो रही है कम

उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में इन दिनों यह चर्चा आम है कि आईएएस अधिकारियों की ताकत दिन पर दिन कम होती जा रही है. इसके अलावा अधिकारियों पर सख्ती और निगरानी में वृद्धि हुई है. इन्हीं सब कारण से वे अब इस सेवा को जारी रखने के इच्छुक नहीं है. इसीलिए विपरीत परिस्थितियां पड़ते ही वे पद को छोड़ना ही उचित समझ रहे हैं.
वर्तमान सरकार के बारे में आशंका जताई जा रही है कि आईएएस अधिकारियों की ताकत को कम करने का प्रयास किया जा रहा है. उनको सरकार के दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करना पड़ता है. इसके अलावा कायदे कानूनों पर अमल करने में कोई कोताही नहीं बरती जा रही है. वहीं आईपीएस अधिकारियों के बढ़ते प्रभाव के चलते भी उच्च प्रशासनिक सेवा अनेक अफसरों पर बोझ के समान हो गई है. इसलिए वे इस सेवा से निजात पाना चाहते हैं.

कैसे मिलती है वीआरएस

नियुक्ति विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक वीआरएस अप्लाई करने के बाद स्वीकृति में तीन से चार महीने का समय लगता है. वीआरएस देने से पहले कई विभागों से एनओसी मांगी जाती है. इसके बाद अफसर को वीआरएस दिया जाता है.

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