विधानसभा चुनाव से पहले मोदी का मास्टर स्टोक, नड्डा की नई टीम में शामिल हुआ ये बड़ा चहरा
भारतीय जनता पार्टी ने नए केंद्रीय पदाधिकारियों की सूची जारी कर दी है. इस लिस्ट में चौंकाने वाला नाम डॉ. तारिक मंसूर का है. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तारिक मंसूर को भाजपा का नया राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है. इसी वर्ष उन्हें पार्टी द्वारा उत्तर प्रदेश विधान परिषद का सदस्य चुना गया. मंसूर समेत यूपी में अब सबसे ज्यादा एमएलसी बीजेपी के हैं. यूपी में बीजेपी के कुल चार MLC हैं.
हाल ही में जब पार्टी ने मंसूर को एमएलसी बनाया तो भी इसे पार्टी के अंदर और बाहर दोनों जगह आश्चर्यजनक कदम बताया गया. दरअसल, मंसूर को पहले एमएलसी और फिर केंद्रीय पदाधिकारी बनाए जाने के पीछे बीजेपी की पसमांदा मुसलमानों को पार्टी से जोड़ने की नीति बताई जा रही है. मंसूर क़ुरैशी समुदाय से आने वाले मुस्लिम हैं। मुस्लिम समाज में क़ुरैशी समुदाय को पसमांदा कहा जाता है. बीजेपी का मानना है कि केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का सबसे ज्यादा फायदा पसमांदा मुसलमानों को मिलता है. लेकिन अभी भी यह समुदाय पूर्वाग्रहों के कारण पार्टी से नहीं जुड़ा है.
MLC, स्क्रीनिंग कमेटी सदस्य और अब उपाध्यक्ष…
ऐसे में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी से इन योजनाओं के जरिए पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने और उनके पूर्वाग्रहों को दूर करने को कहा था. पिछले कुछ दिनों में बीजेपी की नीति में भी यह दिखने लगा है. इसी कड़ी में तारिक मंसूर को बीजेपी ने पहले एमएलसी बनाया और फिर अब राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है. तारिक मंसूर को पद्म सम्मान के लिए स्क्रीनिंग कमेटी का सदस्य भी बनाया गया.
अलीगढ़ निवासी तारिक मंसूर के पिता भी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कानून के प्रोफेसर थे. तारिक मंसूर ने मेडिकल की पढ़ाई की है. फिर वे जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर बन गये. इसके बाद 17 मई 2017 को मंसूर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति बने. इसी दौरान मंसूर का नाम पहली बार विवादों में भी आया.
CAA-NRC आंदोलन के दौरान सुर्खियों में आए थे…
ये बात दिसंबर 2019 की है. उन दिनों यूनिवर्सिटी के छात्र सीएए और एनआरसी के खिलाफ आंदोलन पर थे. कुलपति रहते हुए तारिक मंसूर ने कैंपस के अंदर पुलिस बल बुला लिया था. ऐसा पहली बार हुआ जब पुलिस कैंपस के अंदर गई. इस पर काफी हंगामा हुआ, लेकिन तारिक मंसूर चुप रहे. कुलपति के रूप में उनका कार्यकाल 2022 में समाप्त हो रहा था, लेकिन केंद्र सरकार ने उन्हें एक साल का विस्तार दिया और वह फरवरी 2023 तक इस पद पर बने रहे.
साल 2023 में जब उनका नाम एमएलसी के लिए तय हुआ तो उन्होंने कुलपति पद से इस्तीफा दे दिया. पार्टी के यूपी अध्यक्ष ने उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए जाने पर खुशी जताई और कहा कि इस फैसले से पसमांदा समाज में अच्छा संदेश जाएगा. पार्टी ने अगले लोकसभा चुनाव के लिए पसमांदा मुसलमानों को बीजेपी से जोड़ने के लिए देशव्यापी अभियान शुरू किया है.
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