कांग्रेस के हाथ में विपक्षी दलों की स्टेयरिंग, बिहार में घिरे नीतीश कुमार
बिहार से उठी विपक्षी एकता के बाद से ही बिहार में कई बड़ी सियासी उठापटक देखने को मिली है। बेंगलुरु में हुई विपक्ष गठबंधनों दलों की बैठक और एनडीए की बैठक एक ही दिन होने पर भी कई राजनीतिक दलों में हलचल रहीं। इस बीच बिहार की राजनीति में भाजपा नेता की मौत और पशुपति पारस व चिराग के बीच अंतर्विरोध से नीतीश सरकार पर खूब जुबानी हमले हो रहे हैं। कुछ राजनीतिक का मानना है कि बिहार में मची सियासी हलचल की वज़ह विपक्षी एकता की स्टेयरिंग कांग्रेस के हाथ में देना है। अब इसके चलते नीतीश कुमार अपने ही गढ़ में घिर चुके हैं।
पटना लौटते ही घिरे नीतीश कुमार
बेंगलुरु में 17-18 जुलाई को विपक्षी दलों की संयुक्त बैठक हुई। इस बैठक से नीतीश कुमार के तुरंत पटना लौट आने पर सियासी पारा चढ़ गया। भाजपा ने इसे विपक्षी एकता की गाड़ी में पीछे बैठाने पर नीतीश कुमार की नाराजगी बताया। हालांकि, सीएम नीतीश कुमार खुद सामने आए और उन्होंने अपने लौट आने की वजह भी बताई। फ़िलहाल अब नीतीश कुमार की सरकार पर सियासी सवालों की झड़ी लग गई है। नीतीश कुमार ने कहा कि बेंगलुरु में हुई विपक्षी दलों की बैठक से भाजपा बौखला रही है। इसीलिए फूट डालो की नीति एकता बैठकर पर भी आजमा रही।
कांग्रेस को संयोजक बनाने पर बिहार में तनातनी
वहीं विपक्षी एकता बैठक के बाद महागठबंधन का नेतृत्व कांग्रेस को दिए जाने पर बिहार में तनातनी दिखने लगी है। बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार हाशिये पर आ गए। महाराष्ट्र में शरद पवार की पार्टी टूट गई। कांग्रेस ड्राइविंग सीट पर आ गई। उन्होंने कहा कि इतना नहीं बिहार-यूपी में जीतन राम मांझी, ओम प्रकाश राजभर, चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए की ओर आने से विपक्ष कमजोर हुआ है।
विपक्षी दलों के संयोजक ना बनने पर दुख
बिहार के सीएम नीतीश कुमार को विपक्षी दलों की बैठक में संयोजक की भूमिका देने की चर्चा पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि विपक्षी दल किसको कन्वेनर बनाते है। यह उनका आंतरिक मामला है। हालांकि अगर नीतीश कुमार को बनाते हैं तो हम उनकी बुद्धि की दाद देते हैं। मांझी ने कहा कि नीतीश कुमार अपने घर में महान फेल्योर साबित हुए हैं।
I.N.D.I.A नाम पर भी नाराजगी
बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म है कि नीतीश कुमार को I.N.D.I.A नाम सही नहीं लगा। नीतीश कुमार की नाराजगी की एक और वजह उन्हें विपक्षी खेमे संयोजक नहीं बनाने को लेकर भी बताई जा रही है। इन अटकलों के बीच जदयू ने चुप्पी तोड़ी है। जदयू अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार कभी नाराज नहीं हो सकते।
चुनाव से पहले टूट रही विपक्षी एकता
उधर बिहार में चाचा और भतीजे के एनडीए बैठक में शामिल होने से सियासी घमासान जारी है। अब इसका असर यूपी की राजनीति पर भी पड़ रहा है। कई विपक्षी दल भाजपा से मिल गए हैं, जिससे विपक्ष कमजोर हो रहा है। अगर इसी तरह दल भाजपा के खेमे मे जाते रहे तो विपक्ष के खाते में हार सुनिश्चित हो जाएगी। यह स्थिति तब उत्पन्न हो रही है जबकि लोक सभा चुनाव 2024 अभी दूर है।
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