मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, आगजनी के बाद कर्फ्यू, सेना भी तैनात
मणिपुर में एकबार फिर हिंसा भड़की है. अबकी बार हिंसा राजधानी इंफाल में हुई है. स्थिति को काबू करने के लिए आर्मी और पैरामिलिट्री फोर्स को मौके पर भेजा गया. बताया गया है कि न्यू चेकॉन इलाके में एक लोकल मार्केट में जगह को लेकर विवाद हुआ. ये विवाद मैतई और कुकी समुदाय के बीच मारपीट को लेकर हुआ. मामला धीरे-धीरे बढ़ गया, जिसके बाद आगजनी की खबरें सामने आईं. फिलहाल इलाके में कर्फ्यू लगाया गया है.
#WATCH | Abandoned houses set ablaze by miscreants in New Lambulane area in Imphal in Manipur. Security personnel on the spot. pic.twitter.com/zENI5nuMyM
— ANI (@ANI) May 22, 2023
जानकारी के अनुसार, भड़की हिंसा में एक चर्च में आग लगा दी गई. सेना मौके पर पहुंच गई है और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है. वहीं, इंफाल में रविवार को कुछ घरों को जला दिया गया. यहां स्थानीय लोगों के प्रदर्शन करने पर रोक लगाई गई है. आगजनी की बढ़ती घटनाओं और फेक न्यूज को देखते हुए मणिपुर सरकार ने तत्काल प्रभाव से इंटरनेट और मोबाइल सर्विस को सस्पेंड कर दिया है. आदेश अगले पांच दिनों यानी 26 मई तक के लिए जारी किया गया है.
हेट स्पीच पर शिकंजा करने के लिए इंटरनेट पर बैन…
इंटरनेट सर्विस को सस्पेंड करने का निर्णय इसलिए भी लिया गया है ताकि इलाके में घरों और परिसरों को टारगेट न किया जा सके. अधिकारियों को डर है कि असामाजिक तत्व हेट स्पीच फैलाने, सार्वजनिक भावनाओं को भड़काने और हिंसा को जारी रखने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं.
पिछले एक महीने से अधिक समय से मणिपुर कई मुद्दों को लेकर अशांत है. वहीं शांति के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. इस महीने की शुरुआत में पहाड़ी राज्य में तब झड़पें हुई थीं, जब आदिवासियों ने अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में 3 मई को एकजुटता मार्च निकाला था. एक सप्ताह से अधिक समय से चली आ रही हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.
हिंसा के बाद हजारो हुए बेघर…
हिंसा में करोड़ों की संपत्ति खाक हो गई और हजारों लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए. सरकार की ओर से कैंप लगाए गए, जहां लोगों ने रातें गुजारी. इसके अलावा आरक्षित वन भूमि से कूकी ग्रामीणों को बेदखल करने की खबरें सामने आईं, जिसके बाद तनाव बढ़ा और झड़पें शुरू हो गईं. इसके चलते कई छोटे-छोटे आंदोलन भी हुए.
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