1 KG चॉकलेट बनाने में खर्च होता है कई हजार लीटर पानी, खाने से पहले जानें इसकी कहानी
वैलेंटाइन वीक के तहत आज चॉकलेट डे मनाया जा रहा है. लेकिन क्या आपको मालूम है कि एक चॉकलेट को बनाने के लिए कितना ज्यादा पानी लगता है. जानते हैं इसके बारे में सबकुछ. चॉकलेट को बनाने में बहुत ज्यादा पानी की जरूरत होती है….
हम लोग अपने आस-पास जितना भी खाने पीने की चीजें देख रहे है, उन सभी को बनने में या पैदा होने में प्रचुर मात्रा में पानी की आवश्यकता होती हैं. बगैर पानी इनमें से शायद ही कोई स्वादिष्ट चीज हमारे खाने योग्य होती है. इसमें घर में बनने वाले भोजन से लेकर फैक्ट्रियों में बनने वाले खाद्य पदार्थ और खेतों में उगने वाली फसल और पेड़-पौधों पर उगने वाले फल शमिल हैं.
क्या आप जानते हैं जिस सेब को हम खाते हैं उसकी एक किलो की मात्रा में 822 लीटर पानी खर्चा होता है. सबसे ज्यादा पानी मक्खन के उत्पादन पर खर्च होता है.मक्खन को दूध से बनाया जाता है और करीब साढ़े पांच लीटर पानी खर्च करने पर एक किलो मक्खन तैयार किया जाता है
आलू सबसे काम पानी में पैदा होने वाली सब्जी है. लेकिन आपको चॉकलेट उत्पादन के कारखानों में इस्तेमाल हो रहे पानी के बारे में बता जाए तो आप हैरान रह जाएंगे। आपको बता कि एक किलो के चॉकलेट उत्पादन में लगभग 17 हजार लीटर के करीब तक का पानी खर्च हो जाता है. है न काफी ज्यादा मात्रा. वहीं एक किलो खीरा के पीछे 350 लीटर पानी खर्च करना होता है.
चावल और मूंगफली ऐसी फसलें हैं, जिनकी पैदावार में काफी पानी लगता है. धान यानि चावल की खेती में तो शुरुआत में खेतों में एक निश्चित ऊंचाई तक पानी भरना पड़ता है और पैड़ी को जितना पानी मिले, माना जाता है कि चावल उतना ही बेहतर पैदा होगा. वैसे एक किलो टमाटर पैदा होने में केवल 214 लीटर पानी लेता है.
वैसे ये तो पक्का मान लीजिए कि जो भी अन्न हमें खेतों के जरिए मिलता है, उसमें पानी की भूमिका काफी अहम होती है. बेशक हमें आम या अन्य फलों के पेड़ पानी लेते हुए नहीं नजर आएं लेकिन वो अपनी जड़ों के जरिए जमीन में नीचे से काफी पानी खींच लेते हैं. वैसे अगर आप ऊपर इस चित्र को देख रहे हों तो ये भी समझ लीजिए कि दूग्ध उत्पादों के प्रोडक्ट भी अच्छा खासा पानी लेते हैं.
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