नया वर्ष 2023: पहले 10 महीनों का होता था साल, कैलेंडर में ऐसे आई जनवरी, जानें दिलचस्प इतिहास
साल 2022 का आज अंतिम दिन है. कल नये साल का सूर्योदय होगा. देश-दुनिया के लोग नये साल के स्वागत और जश्न मनाने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. इस नये साल को हर कोई अलग अंदाज में सेलिब्रेट करना चाहता है. 31 दिसंबर की रात से ही नये साल का जश्न शुरू हो जाता है. कुछ लोग तो अपने नये और अच्छे कामों की शुरुआत करने के लिए 1 जनवरी का इंतजार करते हैं.
लेकिन, कई सालों पहले नया साल मार्च के महीने से शुरू होता था. कैलेंडर में 10 महीने का साल होता था. लेकिन, कैलेंडर में हुए बदलाव के बाद 1 जनवरी से नया साल मनाया जाने लगा. आईये जानते हैं नये साल के दिलचस्प इतिहास के बारे में.
मार्च से शुरू होता था साल…
1 जनवरी से नया साल मनाने की शुरुआत 15 अक्टूबर, 1582 से हुई थी. इस सिलसिले में सबसे पहले रोम के राजा नूमा पोंपिलस ने रोमन कैलेंडर में जरूरी बदलाव किए थे और कैलेंडर में जनवरी को साल का पहला महीना माना था. इससे पहले मार्च महीने से साल की शुरुआत होती थी. पहले बने इस कैलेंडर में मार्च साल का पहला महीना माना जाता था. इस कैलेंडर के मुताबिक, साल में सिर्फ 10 महीने ही होते थे. इस वजह से उस समय 1 साल में 310 दिन होते थे और सप्ताह 8 दिनों का होता था.
ऐसे हुई जनवरी से नये साल की शुरुआत…
रोमन शासक जूलियस सीजर ने 1 जनवरी से नये साल की शुरुआत की थी. दरअसल, जूलियस सीजर को खगोलविदों से मुलाकात करने के बाद पता चला कि पृथ्वी 365 दिन और 6 घंटे में सूर्य की परिक्रमा लगाती है. इसको ध्यान में रखते हुए उन्होंने 310 की जगह साल में 365 दिन किए और इसी आधार पर जूलियस कैलेंडर में साल में 12 महीने किए.
कब बना नया कैलेंडर…
साल 1582 में पोप ग्रेगरी को जूलियस कैलेंडर में लीप ईयर को लेकर गलती मिली. उस समय मशहूर धर्म गुरू सेंट बीड ने बताया कि 1 साल में 365 दिन 6 घंटे नहीं, बल्कि 365 दिन 5 घंटे और 46 सेकंड होते हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए रोमन कैलेंडर में बदलाव करते हुए नया कैलेंडर बनाया गया और तभी से हर साल 1 जनवरी से नये साल को मनाने की शुरुआत हुई.
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