28 साल बाद बाबरी विध्वंस मामले में फैसला आज, यूपी में अलर्ट, संवेदनशील जिलों में विशेष सतर्कता
अयोध्या के विवादित ढांचा बाबरी विध्वंस मामले आज सीबीआई के विशेष जज एसके यादव बुधवार को ही अपना फैसला सुनाएंगे। सुबह 11 बजे कोर्ट की कार्यवाही शुरू होगी। सूत्रों के मुताबिक आधे से एक घंटे में फैसला आ जाएगा।
अयोध्या और लखनऊ में बाबरी विध्वंस मामले में आज आने वाले फैसले को लेकर सतर्कता बढ़ा दी गई है। अयोध्या में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। पूरे जिले में चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। प्रवेश मार्गों पर सघन चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है।
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला : विवादित ढांचा ढहाए जाने का फैसला आज, फैसले को लेकर अयोध्या जिला प्रशासन अलर्ट
अयोध्या में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए, जिले में धारा 144 का कराया जाएगा पालन#BabriMasjidDemolitionCase #Ayodhya pic.twitter.com/xPIE6oSR2J
— Journalist Cafe (@journalist_cafe) September 30, 2020
सादी वर्दी में भी भारी मात्रा में पुलिस बल की तैनाती की जाएगी। जनपद में धारा 144 लागू है। जो भी इसका उल्लंघन करेगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत के बाहर करीब 2 हजार पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। इसके अलावा प्रदेश के 25 संवेदनशील जिलों में सुरक्षा व्यवस्था तगड़ी कर दी गई है।
छह दिसंबर, 1992 को दर्ज हुआ था केस :
छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचा गिराया गया था। इस पर हिंदू और मुसलमान दोनों अपने-अपने दावे करते थे। हिंदू पक्ष का कहना रहा कि अयोध्या में ढांचे का निर्माण मुगल शासक बाबर ने वर्ष 1528 में श्रीराम जन्मभूमि पर कराया था, जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई थी।
मंदिर आंदोलन से जुड़े संगठनों के आह्वान पर वहां बड़ी संख्या में कारसेवक जुटे और इस ढांचे को ध्वस्त कर दिया। इस मामले में पहली प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआइआर) उसी दिन रामजन्मभूमि थाने में दर्ज हुई। 40 ज्ञात और लाखों अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ आइपीसी की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ।
49 आरोपितों में 32 ही जीवित-
छह दिसंबर, 1992 को विवादित ढांचा विध्वंस के बाद इस मामले में कुल 49 प्राथमिकी दर्ज हुई थी। सभी में एक साथ विवेचना करके सीबीआइ ने 40 आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। 11 जनवरी 1996 को पूरक शपथ पत्र दाखिल कर नौ के खिलाफ आरोप तय किए गए थे। 49 आरोपितों में अब कुल 32 ही जीवित हैं।
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