उत्तर प्रदेश में छह बर्खास्त शिक्षकों को उनके कार्यकाल के दौरान दिए गए 1.37 करोड़ रुपये की वसूली के लिए नोटिस दिया गया है। बीते साल योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा उन्हें नौकरी के लिए फर्जी कागजात का इस्तेमाल करने को लेकर बर्खास्त कर दिया गया था और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
इनमें से एक जेल में है, एक को जमानत मिल गई है, जबकि बाकी चार फरार हैं। इससे पहले भी बहराइच में चार शिक्षकों से 95 लाख रुपये वसूलने के लिए इसी तरह के कदम उठाए गए थे।
श्रावस्ती जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) ओमकार राणा द्वारा उन्हें नोटिस जारी किया गया था।
फर्जी शिक्षकों पर FIR-
उन्होंने छह शिक्षकों को नोटिस जारी किया है, जिसमें एटा के मनोज कुमार (4.8 लाख रुपये), फिरोजाबाद के राम कुमार (13.6 लाख रुपये), संत कबीर नगर के शोभनाथ (33.3 लाख रुपये), गोरखपुर के राजीव उपाध्याय (33.4 लाख रुपये), बलरामपुर के कन्हैया सिंह (32.7 लाख रुपये) और बहराइच के अजीत कुमार शुक्ला (19.1 लाख रुपये) शामिल हैं।
राणा ने कहा, “इन सभी छह शिक्षकों को पिछले साल फर्जी दस्तावेजों के साथ काम करते हुए पकड़ा गया था, जिसके बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।”
नौकरी पाने के लिए तैयार किया नकली प्रमाण पत्र-
अधिकारियों के अनुसार, छह शिक्षकों में से एक अजीत शुक्ला ने नौकरी पाने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) का एक नकली प्रमाण पत्र तैयार किया था।
उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था और बाद में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन वर्तमान में वह जमानत पर है।
राणा ने कहा, “राम कुमार 2004-05 बीएड डिग्री घोटाले से जुड़ा है, जिसमें उम्मीदवारों ने आगरा विश्वविद्यालय के नाम पर फर्जी डिग्री का इस्तेमाल किया था। अन्य को नकली दस्तावेजों का उपयोग करने के विभिन्न मामलों के कारण प्रतिबंधित कर दिया गया था। बाकी बचे पांच में से शोभनाथ सलाखों के पीछे है, जबकि चार फरार हैं।”
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