इलाहाबाद की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को 2005 के अयोध्या हमले के मामले में अपना फैसला सुनाया। अदालत ने चार आरोपियों को दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा सुनाई। मामले में एक अन्य आरोपी को बरी कर दिया गया है।
अयोध्या में साल 2005 में हुए आतंकी हमले में प्रयागराज की हाइकोर्ट ने चार आतंकियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही अजीज को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। इस हमले में दो लोगों की मौत हो गई थी। कोर्ट ने चारों आतंकियों पर ढाई लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। प्रयागराज के नैनी जेल में रोपी डॉ इरफान, मोहम्मद शकील, मोहम्मद नफीस, आसिफ इकबाल उर्फ फारूक और अजीम बंद था।
पांच जुलाई 2005 को सुबह करीब सवा नौ बजे अयोध्या में अधिगृहीत परिसर में असलहों से लैस आतंकी घुस गए थे। सुरक्षा बलों से मुठभेड़ में पांच आतंकी मारे गए थे। दो निर्दोष लोगों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी थी। सात लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। इसके बाद हुई जांच में आतंकियों को असलहों की सप्लाई और मदद करने में आसिफ इकबाल, मो. नसीम, मो. अजीज, शकील अहमद व डॉ. इरफान का नाम सामने आया।
सभी को गिरफ्तार कर पहले अयोध्या जेल में रखा गया। वर्ष 2006 में हाईकोर्ट के आदेश पर केंद्रीय कारागार नैनी (प्रयागराज) में दाखिल कर दिया गया। सुनवाई के बाद मंगलवार को साक्ष्य के अभाव में मो. अजीज को बरी किया गया जबकि आसिफ इकबाल, मो. नसीम, शकील अहमद व डॉ. इरफान को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
गौरतलब है कि पांच जुलाई 2005 को इस्लामिक आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के पांच आतंकवादियों ने अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि परिसर की दीवार पर विस्फोटक भरी जीप से टक्कर मारी थी। जिसके बाद मुठभेड़ में वहां तैनात सुरक्षा बल ने सभी पांच आतंकियों को मार गिराया था। जबकि एक नागरिक आतंकियों द्वारा ग्रेनेड हमले में मारा गया था।
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