लाखों की नौकरी छोड़ ‘देवभूमि’ की दो बहनें कर रही हैं खेती
आज के समय में हर इंसान चाहता है कि वो शहर जाकर अपना भविष्य बनाएं और वहां की चमक-धमक में खो जाएं। इसी सोच के साथ आज की पीढ़ी शहर की तरफ रुख कर रही है, साथ ही हर किसी के मां-बाप चाहते हैं कि उनके बेटे-बेटियां शहर जाकर अच्छी शिक्षा लें और अपना करियर बनाएं। लेकिन इन सब से अलग भी लोग हैं जो अब भी ये सोचते हैं कि गांव में रहकर भी अपना भविष्य संवार सकते हैं। इसी सोच के साथ अब युवा शहर से गांव की तरफ रुख कर रहे हैं। ऐसे बहुत से युवा हैं जो लाखों की नौकरी छोड़ कर गांव की तरफ भाग रहे हैं और वहां जाकर कुछ नया कर रहे हैं।
देवभूमि की बेटियां नौकरी छोड़कर कर रही हैं खेती
देवभूमि की दो बेटियों ने अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़कर गांव का रुख कर लिया। दिल्ली जैसे महानगर में रहते हुए भी उन्हें गांव याद आता था और वहां जाकर पहाड़ की वादियों को एक नया जीवन दे सकें। बस इसी सोच के साथ दोनों बहनों ने अपनी नौकरी छोड़कर अपने गांव मुक्तेश्वर जा पहुंची। गांव पहुंच कर इन दोनों बेटियों ने आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने की पहल शुरू की।
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दयो- द ऑर्गेनिक विलेज रिसॉर्ट की शुरूआत की
कुशिका और कनिका शर्मा ने दयो- द ऑर्गेनिक विलेज रिसॉर्ट का शुभारंभ किया औऱ गांव के लोगों को जागरुक करने लगीं। दोनों बहनों ने इस काम को फैलाने के लिए अपना कार्यक्षेत्र बढ़ाने लगीं। कुशिका और कनिका की स्कूली शिक्षा उत्तराखंड के नैनीताल औऱ रानीखेत से पूरी की है। स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद कुशिका ने एमबीए करने का फैसला किया और इसके लिए दिल्ली पहुंच गईं।
4 साल तक गुड़गांव में की नौकरी
एमबीए करने के बाद कुशिका ने करीब 4 साल गुड़गांव में एक कंपनी में बतौर सीनियर रिसर्च एनलिस्ट काम किया। वहीं कनिका ने दिल्ली के जामिया मिलिया से मास्टर्स की डिग्री हासिल की औऱ हैदराबाद में आंत्रप्रेन्योरशिप में स्कॉलरशिप मिल गई। दोनों ने इन समय में कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ काम किया।
25 एकड़ जमीन पर कर रही हैं जैविक खेती
दोनों बहनों ने अपने गांव में जैविक खेती करने के लिए इससे जुड़ी जानकारी लेने के लिए प्रशिक्षण लिया और साल 2014 में दोनों बहनों ने मिलकर करीब 25 एकड़ जमीन पर खेती का काम शुरू किया। दोनों बहनों ने जो संस्था शुरू की थी उसमें सैलानियों को ध्यान में रखकर ये रिसॉर्ट बनाया गया। यहां पर आने वाले सैलानियों को ये सुविधा भी दी जाती है कि खेत में जाकर ताजी सब्जियां तोड़कर उसे अपने हिसाब से शेफ से बनवा सकते हैं।
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गांव के लोगों को देती हैं प्रशिक्षण
उनके रिसॉर्ट में इस समय करीब 20 लोग काम कर रहे हैं। इन्होंने एक और अच्छा काम किया कि गांव के लोगों को ही प्रशिक्षण देकर उनको अपने यहां काम पर रख रहे हैं जिससे उनके साथ ही गांव के लोगों को भी काम मिल जाता है और काम के लिए कहीं बाहर नहीं जाना पड़ता है।
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