बांग्लादेश की हिंसा में 133 की मौत, उपद्रवियों को गोली मारने का आदेश…
नई दिल्ली: मणिपुर की तरह इस बार भारत का पड़ोसी देश बांग्लादेश भी हिंसा की आग में धधक रहा है. देश में छात्रों का हिंसक प्रदर्शन जारी है. इस प्रदर्शन को देखते हुए बंगलदेश पीएम शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों और उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया है. छात्र सरकारी नौकरियों में आरक्षण खत्म करने की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं. इस प्रदर्शन में अब तक 133 लोगों की मौत हो गई है जबकि 2500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.
देश में देशव्यापी कर्फ्यू जारी…
बता दें कि पिछले कई दिनों से देश में बिगड़े हालात को काबू करने के लिए सरकार ने देश में देशव्यापी कर्फ्यू को आज दोपहर तीन बजे तक के लिए बढ़ा दिया है. इतना ही नहीं देश में हिंसा के चलते कई कई शहरों में मोबाइल फोन और इंटरनेट की सेवाओं पर पाबंदी लगा दी गई है. हिंसा के मद्देनजर देश से पलायन भी होने लगा है. यहां से भारी संख्या में लोग अलग-अलग देशों में जा रहे हैं.
बद से बदतर हो रहे हालात…
बता दें कि देश में फैली हिंसा के चलते हालात अब बद से बदतर हो गए हैं. इसके चलते प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपना विदेश दौरा रद्द कर दिया है. बताया जा रहा है कि शेख हसीना आज से स्पेन और ब्राज़ील के दौरे में जाने वाली थीं. दरअसल, बांग्लादेश में छात्र स्वतंत्रता सेनानियों के बच्चों को 30 फीसदी आरक्षण दिए जाने का विरोध कर रहे हैं. छात्रों की मांग है कि उनके आरक्षण को 56 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी किया जाए.
आखिर क्यों हो रहा विरोध ?…
बता दें कि बांग्लादेश में विरोध की मुख्या वजह यह है कि राजधानी ढाका और अन्य शहरों में विश्वविद्यालय के छात्र 1971 में पाकिस्तान से देश की आजादी के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत तक का आरक्षण देने की व्यवस्था के खिलाफ हैं. उनका तर्क है कि यह व्यवस्था भेदभावपूर्ण है और इसे योग्यता आधारित प्रणाली में तब्दील किया जाए. प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि यह प्रणाली भेदभावपूर्ण है और प्रधानमंत्री शेख हसीना के समर्थकों को लाभ पहुंचा रही है.
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देश में सरकारी नौकरियों में 56% आरक्षण
बता दें कि बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कुल 56 फीसदी आरक्षण है. इनमें से 30 प्रतिशत 1971 के मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए, 10 फीसदी महिलाओं, 10 फीसदी पिछले इलाकों से आने वाले, 5 फीसदी जातीय अल्पसंख्यक समूहों और 1 फीसदी आरक्षण दिव्यांगों के लिए है. इसी के खिलाफ देश में हिंसक प्रदर्शन हो रहा है.