अंबेडकर की 126वीं जयंती पर यहां हाेगा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन …

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संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 126वीं जयंती के अवसर पर कर्नाटक सरकार तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन बेंगलुरू में करने जा रही है। 21 जुलाई को होने वाले इस सम्मेलन की जानकारी यहां मंगलवार को दी गई। कर्नाटक सरकार के लोक निर्माण मंत्री और सम्मेलन के संयोजक डॉ. एच.सी. महादेवप्पा ने मंगलवार को दिल्ली स्थित कर्नाटक भवन में डॉ. बी.आर. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन-2017 का ऐलान किया, जिसका विषय ‘रीक्लेमिंग सोशल जस्टिस, रीविजिटिंग अंबेडकर’ होगा।

इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में देश के अग्रणी सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद् और नीति निमार्ताओं में से 300 से ज्यादा वक्ता और 1500 भागीदार शामिल होंगे। सम्मेलन का उद्देश्य अंबेडकर के आदर्शो को जीवंत बनाना और देश को एक बार फिर उस दिशा में ले जाना है जहां यह प्रेरणा और उम्मीद की किरण के रूप में दुनिया भर में निखर पाए। इसमें उनके जीवन व कार्यो को एक प्रेरणा की तरह दिखाया जाएगा, ताकि देश और दुनिया में सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक न्याय के समकालीन महत्व का पता चल सके।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मानवाधिकार के लिए लड़ने वाले मार्टिन लूथर किंग और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी होंगे।

अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं में प्रो. कॉरनेल वेस्ट, लॉर्ड भिखु पारेख, प्रो.जेम्स मनोर, प्रो. थॉमस वेइसकॉप्फ, प्रो. उपेंद्र बख्शी सहित 80 से अधिक वक्ता शामिल होंगे। जबकि राष्ट्रीय वक्ताओं में प्रो. सुखदेव थोरट, अरुणा रॉय, निखिल डे, प्रोफेसर शिव विश्वनाथन, डॉ. शशि थरूर, के. राजू, सलमान खुर्शीद, प्रकाश अंबेडकर सहित 140 से अधिक वक्ता शामिल होने वाले हैं।

सम्मेलन में भाग लेने वाले गणमान्य के बीच सामाजिक न्याय और मानवीय बराबरी, आर्थिक न्याय, राजनीतिक न्याय, धर्म और सांप्रदायिकता और संस्कृतिक प्रभुत्व जैसे कई विषयों पर विचारों का आदान-प्रदान होगा।

यह सम्मेलन वर्ष 1938 की राष्ट्रीय योजना समिति की तरह यह सम्मेलन मौजूदा सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सुधारों पर अच्छा-खासा पुनर्विचार करेगा। हम ऐसा भारत सबके लिए के इरादे को और मजबूत करने के लिए करेंगे खासकर उनके लिए जो हाशिए पर कर दिए गए हैं और जो समाज के नाजुक वर्ग हैं।

यह सम्मेलन एक दूरदर्शी ब्लूप्रिंट होगा, जो सभी भारतीयों की सामूहिक इच्छा का सम्मान करेगा, उनकी रक्षा करेगा। ऐसा करते हुए यह कर्नाटक और भारत दोनों के लिए और भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

सम्मेलन के अंत में कर्नाटक सरकार बेंगलुरू घोषणा की पेशकश करेगी, जिसमें खास संवैधानिक, संस्थागत और नीतिगत प्रतिक्रिया रेखांकित करेगी, जो सामाजिक न्याय, मानवाधिकार, आजादी और लोकतंत्र से संबंधित होंगे।

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