आपदाओं से ग्रस्त क्षेत्रों से अधिक होती है मानव तस्करी

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यूएन ऑफिस ऑफ ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी) और गृह मंत्रालय ने पड़ोसी देशों से हो रही मानव तस्करी रोकने के लिए हाथ मिलाया है। यूएन वूमन और यूएनओडीसी ने भी इस समस्या से लड़ने के लिए समन्वय करने का फैसला किया है।

‘ट्रैफिकिंग इन पर्सन्स प्लेटफॉर्म’ शुरू करने का फैसला किया

लोकसभा सांसद मीनाक्षी लेखी ने समारोह में कहा, “मुझे यह जानकर खुशी हो रही है कि यूएनओडीसी दक्षिण एशिया ने कानून प्रवर्तन और पुनर्वास के परिप्रेक्ष्य से एक विशेष ‘ट्रैफिकिंग इन पर्सन्स प्लेटफॉर्म’ शुरू करने का फैसला किया है।” लेखी ने कहा, “जनता की प्रतिनिधि होने के नाते मैं देश में जहां कहीं भी तस्करी होती है, उसे लेकर बेहद चिंतित हूं।”

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सांसद ने कहा कि बाढ़, सूखा, सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त क्षेत्रों से अधिक तस्करी होती है, क्योंकि वहां तस्करों को काफी शिकार मिल जाते हैं।

तस्करी के पीड़ितों में एक तिहाई बच्चे

लेखी ने कहा कि ऐसे क्षेत्रों के लोगों को तस्करों का शिकार बनने के संभावित खतरे के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।यूएनओडीसी दक्षिण एशिया की प्रतिनिधी सर्गई कपिनोस ने कहा, “यूएनओडीसी की नवीनतम रिपोर्ट में तस्करी के 500 विभिन्न प्रकारों की पहचान की गई है। दुनियाभर में तस्करी के पीड़ितों में एक तिहाई बच्चे होते हैं।” उन्होंने कहा, “इस समस्या से निपटने के लिए सामूहिक रूप से कार्य करने की जरूरत है।”

इस साल के अंत में मानव तस्करी (रोकथाम, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक-2016 को संसद में रखा जाना है। इसके मुताबिक मानव तस्करी के अपराधियों की सजा को दोगुना करने का प्रावधान है और ऐसे मामलों की तेज सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन का भी प्रावधान है। इस कानून के मुताबिक पीड़ितों की पहचान को सार्वजनिक नहीं किया जा सकेगा।

कमियों को पाटने की कोशिश

मेनका गांधी का कहना था कि मौजूदा कानूनों में मानव तस्करी के साथ ही होने वाले कई दूसरे अपराधों की अनदेखी होती है। उनका कहना था, ”प्रस्तावित विधेयक में भारतीय दंड संहिता की उन कमियों को पाटने की कोशिश ​की गई जिससे इससे जुड़े कई और भी अपराधों को पहचाना जा सके।

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