घायल पक्षियों को बचाने में जुटा युवा

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ग्लोबल वार्मिग के गंभीर खतरों से आज समूची धरती जूझ रही है। पर्यावरण असंतुलन के चलते धरती के वन्य जीव जंतुओं और वृक्ष-वनस्पतियों की अनेक दुर्लभ प्रजातियां आज विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुकी हैं। वहीं दूसरी ओर अपने शौक पूरा करने के लिए हम कभी भी उनकी जिंदगी के बारे में नहीं सोचते हैं। लेकिन एक इंसान ऐसा है जो ना सिर्फ इनके बारे में सोचता है, बल्कि इनसे इतना प्यार करता है कि जरूरत पड़ने पर इन पक्षियों का इलाज भी करवाता है। तभी तो राजस्थान के जयपुर शहर में रहने वाले रोहित गंगवाल इस साल अब तक 16 सौ से ज्यादा पक्षियों की जान बचा चुके हैं।

पतंग महोत्सव में मिली प्रेरणा

जयपुर में वर्ष 2006 के जनवरी महीने में मशहूर पतंग महोत्सव चल रहा था तो रोहित भी वहां पर मौजूद थे। प्रतियोगिता के दौरान अचानक एक पक्षी पतंग की डोर से घायल होकर जमीन में गिर गया। उसकी ऐसी हालत देख रोहित को बहुत बुरा लगा और उन्होंने उस पक्षी को अपने हाथ में उठा लिया। जिसके बाद में उसे बर्ड शेल्टर ले जाने लगे, लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। इस घटना से रोहित को काफी धक्का लगा और उसी पक्षी से प्रेरणा लेकर उसी दिन उन्होंने फैसला कर लिया कि वो अब अपने जीवन में घायल पक्षियों की देखभाल का काम करेंगे।

पक्षियों के लिए बनाया संगठन

इस घटना के बाद रोहित ने अपने दोस्तों से इस बारे में बात की और पक्षियों के लिए ‘रक्षा’ नाम से एक संगठन बनाया। अपने संगठन ‘रक्षा’ के लिए उन्होने सबसे पहले डॉक्टर और नर्सों की एक टीम तैयार की। साथ ही उन्होने घायल पक्षियों के लिए जयपुर में एक शेल्टर होम बनवाया, जहां पर घायल पक्षियों को रखा जा सके। अपने इस संगठन के जरिए वो जयपुर और फुलेरा में घायल पक्षियों की देखभाल करते हैं। घायल पक्षियों के लिये एक हेल्पलाइन नंबर 9828500065 भी है। इस नंबर पर कोई भी व्यक्ति 24 घंटे सातों दिन में कभी भी उनसे सम्पर्क कर घायल पक्षी के बारे में जानकारी दे सकता है।

बच्चों को करते हैं जागरूक

घायल पक्षियों की जान बचाने के अलावा रोहित और उनकी टीम स्कूली बच्चों को पक्षियों के प्रति जागरूक करने का काम भी करती है। टीम के सदस्य अलग-अलग स्कूलों और कॉलेजों में वीडियो स्क्रिनिंग के जरिए बच्चों को जागरूक करते हैं। वो बताते हैं कि पक्षियों को समय पर इलाज नहीं मिलने से वो किस तरह तड़प कर मर जाते हैं और उनका रहना हमारे लिए क्यों जरूरी हैं।

कई प्रजातियों को बचा चुकी है संगठन

अपने संगठन ‘रक्षा’ के जरिए रोहित पक्षियों की कई प्रजातियों को बचा चुके हैं। जिसमें से प्रमुख हैं गोरैया, तोता, चील, बाज आदि। इसके अलावा उनकी टीम सांप और दूसरे रेंगने वाले जीवों की भी रक्षा का काम करती है। अगर किसी के घर में सांप निकल आता है तो सूचना मिलने पर इनके स्पेशल वालंटियर वहां पर जाकर उसका रेसक्यू करते हैं। रोहित उन पक्षियों के बच्चों की भी देखभाल करते हैं, जिनके मां बाप की मृत्यु हो जाती है। ऐसे बच्चों को वो अपने शेल्टर होम में लाकर उन्हें खाना और उड़ना सिखाते हैं।

विलुप्ति की कगार पर दुर्लभ प्रजातियां

पर्यावरण असंतुलन के चलते धरती के वन्य जीव जंतुओं और वृक्ष-वनस्पतियों की अनेक दुर्लभ प्रजातियां आज विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुकी हैं। हमारा देश जैव विविधता की दृष्टि से दुनिया में सर्वाधिक समृद्ध माना जाता है। इसके बावजूद दुर्लभ प्रजातियों की विलुप्ति का यह संकट निश्चित रूप से चिंता का विषय है। संयुक्त राष्ट्र पैनल की जलवायु परिवर्तन की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कई वर्षो से विभिन्न जीव-जंतु व वनस्पतियां धरती के बढ़ते तापमान के प्रति त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्ति कर रहे हैं, यदि तापमान बढ़ने का क्रम इसी तरह जारी रहा तो अगले पचास वर्षो में जीव-जंतुओं एवं वनस्पति जगत की हजारों प्रजातियों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। पर्यावरण एवं जैव विज्ञानियों ने तकरीबन डेढ़ हजार से अधिक प्रजातियों का अध्ययन कर यह निष्कर्ष दिया है कि यदि पारिस्थिति न सुधरी तो वर्ष 2050 तक ये प्रजातियां या तो समूल विनष्ट हो जाएंगी या फिर अपने अस्तित्व के संकट से गंभीर रूप से जूझ रही होंगी।

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