पुनर्जन्म : जब भाई ने बहन से राखी बंधवाने से किया ‘इनकार’…

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फिल्मों में अक्सर पुनर्जन्म के किस्से तो आपने सुने और देखे होंगे, मगर रीयल लाइफ में ऐसा नजर आए तो ताज्जुब होना लाजिमी है। जी हां, जिले के मैलानी इलाके में तीन साल के जीतन की कहानी लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। जीतन का जन्म पड़ोस के गांव मक्कागंज में 2015 में हुआ। जीतन ने पास के ही भोलापुर गांव में विदेशी नामक किसान पर घर आकर पूर्व जन्म की न सिर्फ बातें बताईं और बल्कि घर के हर समान की निशानदेही की। यह दिलचस्प और भावनात्मक कहानी शुरू होती है ग्राम मक्कागंज से मक्कागंज गांव में 15 अगस्त 2015 को शिवकुमार के घर बालक एक बालक का जन्म हुआ।

बहन से राखी बंधवाने से किया इनकार…

बच्चे का नाम रखा जीतन। अभी 15 अगस्त 2017 को जब जीतन तीन साल का हुआ, तो टूटी फूटी बोली में अपनी मां रामबेटी और पिता शिवकुमार से बातों-बातों में जिद करते हुए कहता कि मेरा घर तो भोलापुर में है मेरा पिता का नाम विदेशी है।जीतन के परिजन बताते हैं कि इस साल रक्षा बंधन के मौके पर जब उसकी बहन रेनू राखी बांधने लगी तो उसने राखी बंधवाने से साफ इन्कार कर दिया और कहा कि उसकी बहनें भोलापुर में हैं। बच्चे की जिद के आगे थक-हारकर शिवकुमार बच्चे को लेकर भोलापुर गए तब जीतन ने विदेशी की दोनों पुत्रियों से राखी बंधवाई।

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ये है मेरी अम्मा…

उसके पिता शिवकुमार ने बताया कि बच्चे के बार-बार जिद करने पर वह बच्चे को लेकर भोलापुर में विदेशी के घर गए तो जीतन चिल्लाकर बोलने लगा कि ये मेरे पिता हैं। भोलापुर गांव के विदेशी ने बताया कि उनका पुत्र दिलीप ठेकेदारी में काम करने बेंगलुरु गया और वहां पर 17 मई 2012 को 30 साल की उम्र में समुद्र में नहाते वक्त उसकी मौत हो गई थी। दूरी अधिक होने के कारण दिलीप का अंतिम संस्कार वहीं पर कर दिया गया था। भोलापुर के विदेशी बताते हैं कि जब पहली बार बच्चा उनके घर आया तो घर के हर चीज को देखकर बताने लगा कि अमुक सामान उसका है और कहां रखा है। बच्चे ने अपनी पूर्व मां विदेशी व पत्नी बसंती को भी पहचान लिया और कहा कि ये मेरी अम्मा हैं।

गांव के बुजुर्गो के नाम भी बता देता है

इसके बाद तीन साल के बच्चे के मुख से हर बात सुनने के बाद तो दोनों परिवार ही नही बल्कि गांव के लोग भी हतप्रभ हैं। वह गांव के बुजुर्गो के नाम भी बता देता है। वहीं इसके अलावा मौजूदा समय में मक्कागंज गांव में शिवकुमार की एक पुत्री और एक यही बालक जीतन है, जबकि भोलापुर में विदेशी के परिवार में अब एक पुत्र और छह पुत्रियां हैं। अपने से जुदा पुत्र दिलीप को बालक के रूप में विदेशी के परिवार में भावनात्मक माहौल है।

दोनों परिवारों में बच्चे को लेकर किसी प्रकार मतभेद नहीं

’रिश्तेदारों और घरेलू सामानों को बखूबी पहचानता है बालक ’नहाते समय समुंद्र में डूबकर हुई थी उसकी मौत पुनर्जन्म की बात जानने के बाद अब विदेशी की पत्नी बसंती शिवकुमार के बच्चे जीतन को लेकर अपने मायके गई तो वहां पर भी अपनी नानी, मामा सभी को पहचानकर नाम से पुकार कर पहले वाले जीवन की बाते करने लगा। विदेशी बताते हैं कि लाख कोशिशों के बाद भी बच्चा अपने पिता के रूप में उनका ही नाम बताते हुए अपना नाम दिलीप ही बताता है। दोनों परिवारों में बच्चे को लेकर किसी प्रकार मतभेद नहीं है। विदेशी भी जब तब बच्चे के कपड़े सामान और खाने-पीने के चीजें लेकर शिवकुमार के घर आ जाते हैं।

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