न्यू ईयर पर योगी सरकार देगी यूपी का ये तोहफा जानिए…

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समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी विधानसभा में मकोका की तर्ज पर माफिया और संगठित अपराध से निपटने के लिए कड़े प्रावधान वाला विधेयक यूपीकोका पेश किए जाने पर तंज कसा है। उन्होंने ट्वीट कर राज्य सरकार के इस विधेयक पर सवाल उठाए हैं। अखिलेश ने कहा, ‘नए साल में जनता को उत्तर प्रदेश सरकार का तोहफा, सेल्फी लेने पर लग सकता है यूपीकोका।’ एक अन्य ट्वीट में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘यूपीकोका नहीं ये धोखा है। फर्नीचर साफ करने के पाउडर को PETN विस्फोटक बताने वाले जनता को बहकाने में माहिर हैं। 9 महीनों में बीजेपी ने जन सुरक्षा से खिलवाड़ करते हुए न सिर्फ समाजवादी ‘यूपी100’ और महिला सुरक्षा की 1090 का इंतजाम किया।

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सीएम योगी ने सदन में यूपीकोका 2017 विधेयक पेश किया

बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य विधानसभा में महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून की तर्ज पर माफिया और संगठित अपराध से निपटने के कड़े प्रावधान वाला एक विधेयक पेश किया। यह विधेयक आतंक फैलाने या बलपूर्वक या हिंसा द्वारा सरकार को उखाड़ फेंकने का प्रयास करने वालों से सख्ती से निपटने की व्यवस्था देता है।  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सदन में उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक (यूपीकोका 2017) पेश किया। विधेयक में आतंक फैलाने या बलपूर्वक या हिंसा द्वारा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए विस्फोटकों या आग्नेयास्त्र या अन्य हिंसात्मक साधनों का प्रयोग कर जीवन या संपत्ति को नष्ट करने या राष्ट्र विरोधी या विध्वंसात्मक गतिविधियों में लिप्त होने या सरकार या अन्य लोक प्राधिकारी को मौत की धमकी देकर या बर्बाद करने की धमकी देकर फिरौती के लिए बाध्य करने को लेकर कड़े प्रावधान किये गये हैं।

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विशेष कानून अधिनियमित करने का निश्चय किया

विधेयक के उद्देश्य एवं कारण में कहा गया है कि मौजूदा कानूनी ढांचा संगठित अपराध के खतरे के निवारण एवं नियंत्रण के लिए वस्तुत अपर्याप्त पाया गया है।  इसलिए संगठित अपराध के खतरे को नियंत्रित करने के लिए संपत्ति की कुर्की, रिमांड की प्रक्रिया, अपराध नियंत्रण प्रक्रिया, त्वरित विचार एवं न्याय के मकसद से विशेष न्यायालयों के गठन और विशेष अभियोजकों की नियुक्ति तथा संगठित अपराध के खतरे को नियंत्रित करने की अनुसंधान संबंधी प्रक्रियाओं को कड़े एवं निवारक प्रावधानों के साथ विशेष कानून अधिनियमित करने का निश्चय किया गया है।

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अपराध को रोकने के लिए विशेष अदालत का गठन

विधेयक में संगठित अपराध को विस्तार से परिभाषित किया गया है। फिरौती के लिए अपहरण, सरकारी ठेके में शक्ति प्रदर्शन, खाली या विवादित सरकारी भूमि या भवन पर जाली दस्तावेजों के जरिए या बलपूर्वक कब्जा, बाजार और फुटपाथ विक्रेताओं से अवैध वसूली, शक्ति का प्रयोग कर अवैध खनन, धमकी या वन्यजीव व्यापार, धन की हेराफेरी, मानव तस्करी, नकली दवाओं या अवैध शराब का कारोबार, मादक द्रव्यों की तस्करी आदि को इस परिभाषा में शामिल किया गया है। विधेयक में संगठित अपराध के लिए कड़े दंड का प्रावधान किया गया है। संगठित अपराध के परिणामस्वरुप किसी की मौत होने की स्थिति में मृत्युदंड या आजीवन कारावास की व्यवस्था है। साथ ही न्यूनतम 25 लाख रुपये के अर्थदंड का प्रावधान है। किसी अन्य मामले में कम से कम सात साल के कारावास से लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान है और न्यूनतम 15 लाख रुपये का अर्थदंड भी प्रस्तावित है। विधेयक संगठित अपराध के मामलों के तेजी से निस्तारण के लिए विशेष अदालत के गठन का प्रावधान करता है।

साभार: (नवभारत टाइम्स )

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