गोलगप्पे बेचे पर नहीं भूले जिंदगी का गोल, जानिए यशस्वी जायसवाल की प्रेरणादायक कहानी

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अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

कुछ ऐसा कर रहे है भदोही जिले के एक छोटे से कस्बे के रहने वाले क्रिकेटर यशस्वी जायसवाल।

हाल ही में यशस्वी जायसवाल ने मुंबई की तरफ से अंडर 19 में खेलते हुए 154 गेंद में दोहरा शतक मारा है।

वह 17 साल की उम्र में विजय हजारे ट्रॉफी में दोहरा शतक लगाने वाले पहले खिलाड़ी बन गए है।

आपको जानकर हैरानी होगी की इस मुकाम पर पहुँचने के लिए यशस्वी ने मुंबई में गोलगप्पे तक बेंचे हैं।

दोहरा शतक जड़ने का रिकॉर्ड-

मुंबई की तरफ से खेलते हुए यशस्वी जायसवाल ने लिस्ट ए क्रिकेट में सबसे कम उम्र में दोहरा शतक जड़ने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है।

विजय हजारे ट्रॉफी में 17 साल के यशस्वी ने झारखंड के खिलाफ 154 गेंदों में 203 रन बनाये।

इसमें उन्होंने 12 छक्के और 17 चौके मारे थे। विजय हजारे ट्राफी में दोहरा शतक बनाने वाले तीसरे बल्लेबाज बने है।

यशस्वी को यह सफलता बहुत कठिन परिश्रम के बाद मिली है।

आज उन्हें देश ही नहीं बल्कि विदेशो में पहचाना जाता है।

क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने उन्हें अपना बल्ला सिग्नेचर कर दिया था।

लेकिन उनके लिए इसकी राह आसान नहीं थी। यशस्वी ने अपना खर्च निकालने के लिए प्रैक्टिस के बाद मुंबई में एक गोलगप्पे की दुकान पर काम करते थे।

उन्होंने दो साल आजाद मैदान में टेंट रहकर प्रेक्टिस की थी।

पिता की पेंट हार्डवेयर की दुकान-

यशस्वी भदोही जिले के सुरियावां नगर के रहने वाले है उनके पिता एक पेंट हार्डवेयर की दुकान चलाते है।

उनकी मां हाउस वाइफ है।

बचपन से ही यशस्वी को क्रिकेट का शौक था।

उसकी जिद थी की वह बड़े लेविल पर क्रिकेट खेलेगा लेकिन घर की माली हालत ठीक न होना आड़े आ रहा था।

फिर भी उसके परिजनों ने किसी तरह जीतोड़ मेहनत के बाद करीब 9 साल पहले यशस्वी को मुंबई को भेजा।

यशस्वी ने एक मैच में 319 रन बनाये।

तब चयनकर्ताओं की नजर में वह आया और फिर उसका चयन भारतीय क्रिकेट की अंडर 19 टीम में हुआ।

भारत ए के लिए सचिन के बेटे के साथ जब वह श्रीलंका खेलने गया तो सचिन तेंदुलकर यशस्वी के खेल से इतना प्रभावित की उन्होंने उसे अपना एक बल्ला गिफ्ट किया था।

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