काम का बोझ, दूसरे दिन भी बीएचयू अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ का धरना जारी
सोमवार को धरने का दूसरा दिन है.
वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित सर सुंदरलाल अस्पताल में कार्यरत नर्सिंग स्टाफ खेमचंद सैनी की ड्यूटी के दौरान अचानक मृत्यु के बाद अस्पताल प्रशासन पर मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए सैकड़ो की संख्या में नर्सिंग स्टाफ धरना दे रहे हैं. सोमवार को धरने का दूसरा दिन है. रविवार को आइएमएस निदेशक ने उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर समस्याओं को हल करने का आश्वासन दिया परंतु आज दूसरे दिन नर्सिंग स्टाफ की बातों पर ध्यान नहीं दिया गया, जिसपर बात नहीं बनी. जिसके कारण नर्सिंग स्टाफ को में रोष व्याप्त है. बड़ी संख्या में बैठे नर्सिंग स्टाफ जमकर नारेबाजी कर रहे हैं.
नर्सिंग स्टाफ ने अनदेखी का लगाया आरोप
नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि हम लोग लगातार दो दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं ताकि दिवंगत को इंसाफ मिल सके. दूसरे दिन भी अभी तक कोई सक्षम अधिकारी वार्ता के लिए नहीं पहुंचा है.
उन्होंने बीएचयू प्रशासन पर भेद भाव पूर्ण रवैया अपनाए जाने का लगाया है. नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि हम लोगों से मनमाने तरीके से काम भी लिया जाता है और हम लोगों की बातें भी नहीं सुनी जाती. छोटी छोटी गलतियों पर हम लोगों को नोटिस दिए जाने की धमकी दी जाती है.
10-10 घंटे लिया जाता है कार्य
नर्सिंग स्टाफ का आरोप है कि उनसे जबर्दस्ती नियम विरुद्ध निर्धारित समय से अधिक 10-10 घंटे काम लिया जाता है. सप्ताह में एक दिन भी अवकाश नहीं दिया जाता, इससे वे अपना कोई भी व्यक्तिगत कार्य समय से नहीं कर पा रहे. ड्यूटी के दौरान मोबाइल फोन का उपयोग भी नहीं करने दिया जाता है.
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एक नर्सिंग स्टाफ से 17 से 20 बेडों पर अकेले काम लिया जाता है. वार्डों में स्टाफ के लिए अलग से यूरिनल तक की व्यवस्था नहीं है. शिकायत करने पर इंक्रीमेंट रोक देने की धमकी दी जाती है. हम लोगों को इस तरह से मानसिक रूप से प्रताडित किया जाता है.
धरना स्थल पर पहुंची मृतक की पत्नी
दूसरे दिन धरना स्थल पर मृतक की पत्नी रेशमा सैनी भी पहुंची. उन्होंने बीएचयू प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. रेशमा का आरोप है कि हमारे पति की मृत्यु की सूचना बीएचयू प्रशासन द्वारा नहीं दी गई और ना ही किसी प्रकार की जानकारी दी गई. इस पूरे मामले पर सर सुंदरलाल अस्पपताल कुछ भी नहीं कर रहा है.
मृतक की पत्नी ने मांग की है कि हमारे पति को इंसाफ मिलना चाहिए. उन्होंने यह भी बताया कि मेरा एक डेढ़ साल का बच्चा भी है. ऐसी स्थिति में हम बच्चे को लेकर कहां जाएंगे.
बच्चों की निगाह ढूंढती रही पिता को
धरना स्थल पर रेशमा अपने डेढ़ साल के बच्चों के साथ पहुंची थी. बच्चे की निगाहें सिर्फ अपने पिता को ढूंढ रही थीं. बार-बार बच्चा अपनी मां से पापा के विषय में पूछ रहा था.
बच्चों को देखकर लोगों की भी आंखें नम हो जा रही थी. मां रेशमा किसी तरह बच्चों को समझ कर शांत करने में जुटी हुई थी. रेशमा को नर्सिंग स्टाफ ढ़ाढस बधाने में जुटी हुई थी. यह दृश्य काफी विचलित करने वाला था.
नर्सिंग स्टाफ ने की है यह मांग
मृत नर्सिंग स्टाफ के परिवार को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा पांच करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाए. आश्रित परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा के आधार पर समकक्ष पद पर नौकरी दी जाए.
मृत स्टाफ के बच्चों के लिए निश्शुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जाए. बीएचयू प्रशासन खेमचंद के पार्थिव शरीर को उनके मूल निवास स्थान राजस्थान तक निश्शुल्क पहुंचाने की व्यवस्था करे. नर्सिंग ग्रीवांस समिति की वार्षिक समीक्षा की जाए. मृत खेम सिंह को उनकी ज्वाइनिंग ड्यूटी से अब तक कन्फर्म माना जाए.