शिवराज सरकार हुई हाईटेक, मंत्री करेंगे डिजिटल साइन
ई-गवर्नेंस की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने अप्रैल से मंत्रालय को पूरी तरह पेपरलेस करने की घोषणा की। मध्य प्रदेश सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि सचिवालय में पेपरलेस तरीके से काम करने की व्यवस्था में अभी दो महीने लग सकते हैं। मंत्रियों को आईटी की ट्रेनिंग दी जाएगी, ताकि वो पेपरलेस तरीके से काम कर सकें।
पेपरलेस ऑफिस केरल में शुरू किया जा चुका है
मंत्री कामकाज के दौरान डिजिटल हस्ताक्षर करेंगे। इसमें समय भी बचेगा। हालांकि उन्होंने ई-कैबिनेट के शुरुआत की कोई एक निश्चित तारीख नहीं बताई। ऐसा नहीं है कि यह अपनी तरह का पहला कदम है। इससे पहले हिमाचल प्रदेश विधानसभा को 2014 में पूरी तरह से डिजिटल किया जा चुका है। केंद्र सरकार के कोयला मंत्रालय ने भी पेपरलेस बनने की दिशा में काम 2016 में ही शुरू कर दिया था। देश का पहला पूरी तरह से पेपरलेस ऑफिस केरल में शुरू किया जा चुका है।
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हैदराबाद हाईकोर्ट ने भी पेपरलेस मुहिम के तहत सभी रिकॉर्ड्स को डिजिटाइज़ करने की मुहिम 2016 में शुरू कर दी थी। 2016 में केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि सभी विभागों और मंत्रालयों पेपरलेस बनाने की दिशा में काम किया जायेगा। और इसके पुरस्कार भी दिया जायेगा। पेपरलेस योजना के अलावा बजट में वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए 2 लाख करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा गया। और भी कई प्रस्तावों पर कैबिनेट ने स्वीकृति दी।
शिवराज की सरकार में तीन मंत्री कैबिनेट में शामिल
इसके अलावा शिवराज सिंह की सरकार में तीन मंत्रियों को भी कैबिनेट में शामिल किया गया है। नारायण सिंह कुश्वाहा को नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, जलम सिंह पटेल को आयुष विभाग व कुटीर एवं ग्रामीण उद्योग की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। बालकृष्ण पाटीदार को श्रम मंत्रालय की ज़िम्मेदारी दी गई है। बालकृष्ण पाटीदार नेता है तो ऐसा माना जा रहा है कि हाल में पाटीदारों के आंदोलन के मद्देनज़र चुनाव के पहले पाटीदारों को खुश करने की एक पहल है।
news18
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