काशी में क्या हजारों साल की सरस्वती फाटक स्थित मंदिर में पूजन की परंपरा टूटेगी ?
मां सरस्वती का प्राकट्य दिवस बसंत पंचमी इस बार 16 फरवरी 2021 को पड़ रही है। हर साल माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन इसे मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना कर उनसे विद्या और बुद्धि का आशीर्वाद मांगा जाता है। साथ ही इसे शुभ कार्यों को करने का दिन भी माना जाता है।
काशी में 1300 साल पहले आदि शंकराचार्य ने स्थापित की थी सरस्वती प्रतिमा-
काशी में आदि शंकराचार्य की स्थापित मां सरस्वती की प्रतिमा 1300 साल पुरानी है। बसंत पंचमी के दिन श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के समीप सरस्वती फाटक पर स्थित मंदिर में श्रद्धालुओं और दर्शनार्थियों का भोर से लेकर देर रात्रि तक तांता लगा रहता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट निर्माणाधीन विश्वनाथ धाम में सरस्वती फाटक आ चुका है। मां की मूर्ति श्री काशी विश्वनाथ न्यास के संरक्षण में है। सवाल यह कि क्या मां के दर्शन पूजन की हजारों साल की परंपरा इस बार टूटने जा रही है क्या ?
न्यास क्या व्यवस्था करने जा रहा है , इसकी जानकारी नहीं है। बसंत पंचमी के दिन ही वीणावादिनी एवं विद्या की देवी सरस्वती जी का विधि-विधान पूजन किया जाता रहा है।
सीएम योगी ने काशीवासियों से किया था वादा-
गौरतलब है कि काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के समय आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित मां सरस्वती के विग्रह को हटाकर मंदिर को जमीदोंज किया गया। तब प्रशासन को काशी की जनता का विरोध झेलना पड़ा था।
काशीवासियों ने नाराजगी जाहिर की तो यूपी के मुखिया सीएम योगी आदित्यनाथ को बनारस आना पड़ा। योगी ने काशीवासियों से वादा किया कि विश्वनाथ धाम के सरस्वती फाटक पर ही मां सरस्वती का भव्य मंदिर निर्माण के साथ ही आदि शंकराचार्य की भव्य मूर्ति स्थापित की जाएगी।
फिलहाल विश्वनाथ धाम का निर्माण कार्य तेजी से हो रहा है लेकिन सरस्वती फाटक स्थित मां सरस्वती मंदिर निर्माण का खाका अभी तक नहीं खींचा गया है।
यह भी पढ़ें: काशी विश्वनाथ धाम की खुदाई के दौरान प्राचीन मंदिर और सुरंग मिलने से बढ़ी सरगर्मी, संत समाज ने की ये मांग
यह भी पढ़ें: वाराणसी : मेट्रो की तरह रेलवे स्टेशन पर होगी टिकट चेकिंग
[better-ads type=”banner” banner=”104009″ campaign=”none” count=”2″ columns=”1″ orderby=”rand” order=”ASC” align=”center” show-caption=”1″][/better-ads]