वाराणसी : मेट्रो की तरह रेलवे स्टेशन पर होगी टिकट चेकिंग

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हर दिन आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित हो रहे बनारस के रेलवे स्टेशन पर जल्द ही मेट्रो स्टेशन जैसा टिकट चेकिंग सिस्टम नजर आएगा। रेलवे की ओर से इसकी मंजूरी तो काफी पहले दे दी गयी थी अब इसके लिए बजट भी एलाट कर दिया गया है।

सबसे पहले ये सिस्टम बनारस से दो प्रमुख स्टेशन पर लगेंगे। हालांकि रेलवे ने इनके नाम का खुलासा तो नहीं किया है लेकिन संभावना है कि प्रमुख ट्रेनों के संचालन और पैसेंजर्स की ज्यादा संख्या को देखते हुए इसे कैंट और मंडुवाडीह रेलवे स्टेशन पर लगाया जाएगा।

खर्च होंगे 4.16 करोड़-

मेट्रो स्टेशन की तर्ज पर बनारस के रेलवे स्टेशनों पर लगाए जाने वाले एएफसी (आटोमेटिक फेयर कलेक्शन) गेट को लगाने में 4.16 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसे लगाने की मंजूरी मिलने के बाद फंड का इंतजार था वो भी बजट सत्र 2021-2022 में मिल गया।

पहले चरण में दो प्रमुख रेलवे स्टेशन पर इन्हें लगाया जाएगा। वैसे तो बनारस में कैंट स्टेशन के बाद सबसे ज्यादा प्रमुख ट्रेनों का संचालन मंडुवाडीह स्टेशन से होता है। काशी, सिटी और सारनाथ से भी ट्रेनों का संचालन हो रहा लेकिन इनकी संख्या अभी ज्यादा नहीं है। इसे देखते हुए सबसे पहले कैंट और मंडुवाडीह रेलवे स्टेशनों पर ही आटोमेटिक गेट लगाए जाएंगे।

हर किसी की करता है निगरानी-

एएफसी गेट का इस्तेमाल देश के कई मेट्रो स्टेशनों पर होता है। सबसे पुराने कोलकाता मेट्रो के साथ बंगलुरु, मुम्बई, दिल्ली, गुड़गांव मेट्रो में इसके जरिए टिकट चेकिंग की जाती है।

इस गेट की खासियत है कि यह बिना किसी मानवीय सहायता के आटोमेटिक तरीके से हर पैसेंजर की निगरानी करता है। स्टेशन में दाखिल होने या बाहर निकलने की अनुमति उन्हें ही मिल पाती है जिसके पास वैलिड टिकट होता है।

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यह गेट खास तरह से काम करता है। जब पैसेंजर मैगनेट स्ट्राइप लगा टिकट इसके सम्पर्क में लाता है तो उसे रीड करके सिग्नल देता है। अगर टिकट वैलिड है तो गेट खुल जाएगा नहीं तो बंद ही रहेगा।

किसी ने इसके साथ जोर-जबरदस्ती करने की कोशिश की तो अलार्म बजने के साथ ही सिक्योरिटी परसन को अलर्ट मैसेज भी करता है।

होंगे बहुत लाभ-

बनारस के रेलवे स्टेशनों पर आटोमेटिक गेट लगने से काफी फायदे होंगे। अभी तक यहां टिकट की मैनुअल चेकिंग होती है। जब कोई ट्रेन आती है तो टीसी एग्जिट गेट पर खड़े होकर पैसेंजर्स का टिकट चेक करते हैं।

भीड़ होने की वजह से कई बार बिना टिकट सफर करने वाले पैसेंजर्स निकल जाते हैं। वहीं फर्जी टिकट पर सफर करने वालों को भी पकड़ना मुश्किल होता है। इससे रेलवे को काफी नुकसान होता है। आटोमेटिक गेट लग जाने से एसे लोगों को पकड़ना आसान हो जाएगा।

इसके साथ ही गेट पर टिकट चेक करने के लिए तैनात होने वाले टीसी को कहीं और तैनात किया जा सकता है। आटोमेटिक गेट कोविड जैसी संक्रामक बीमारियों के रोकथाम में भी काफी सहायक हो सकेगा।

भीड़ संभालना होगा मुश्किल-

आटोमेटिक गेट लगने से रेलवे को काफी फायदा होगा लेकिन कुछ दिक्कतों का सामना भी करना पड़ सकता है। पूर्वांचल का प्रमुख स्टेशन होने की वजह से सामान्य दिनों में कैंट और मंडुवाडीह से प्रतिदिन दो से ढाई लाख पैसेंजर्स पहुंचते हैं। जब कोई ट्रेन आती है तब स्टेशन से बाहर निकलने वालों की भीड़ अचानक से काफी ज्यादा बढ़ जाती है।

वहीं जब किसी ट्रेन का डिपार्चर टाइम होता है तब स्टेशन पहुंचने वालों की भीड़ भी बढ़ जाती है। एसे में आटोमेटिक गेट से टिकट चेकिंग में लगने वाला वक्त परेशानी पैदा करेगा। हांलाकि ने रेलवे ने इस समस्या को समझते हुए गेट की संख्या ज्यादा रखने की योजना बनायी है ताकि भीड़ बढ़ने की स्थित में भी हर पैसेंजर्स कम से कम समय में आटोमेटिक गेट को पार कर सके।

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