Labour Day 2023 : 1 मई को ही क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस….कब और कहा से हुई शुरुआत
वाराणसी: हर साल 1 मई का दिन अंतराष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य है मजदूरों की भलाई के लिए काम करना व मजदूरों में उनके अधिकारों के प्रति जाग्रति लाना. इसे श्रमिक दिवस या मई दिवस भी कहा जाता है. इस दिन राष्ट्र निर्माण में श्रमिकों की भागीदारी को याद किया जाता है तथा विभिन्न सेमिनारों और रैलियों के माध्यम से मजदूरों के हक़ में आवाज उठाई जाती है. दुनिया के 80 देशों में इस दिन छुट्टी दी जाती है. मजदूर दिवस दुनिया में पहली बार 1 मई 1886 में मनाया गया, वहीं भारत में इसे पहली बार 1 मई 1923 को मनाया गया. तो आइए जानते है मजदूर दिवस का इतिहास ..
क्या है इतिहास और महत्व…
न्यूयॉर्क श्रम दिवस को मान्यता देने वाला बिल पेश करने वाला पहला राज्य था, जबकि ओरेगन 21 फरवरी, 1887 को इस पर एक कानून पारित करने वाला पहला राज्य था. साल 1877 में मजदूरों ने अपने काम के घंटे तय करने की मांग को लेकर एक आंदोलन शुरू किया था. इसके बाद 1886 में पूरे अमेरिका में लाखों मजदूर इस मुद्दे पर एकजुट हो गए और हड़ताल की. इस हड़ताल में लगभग 11 हजार फैक्ट्रियों के 3 लाख 80 हजार मजदूर शामिल हुए.
बाद में 1889 में, मार्क्सवादी अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस ने एक महान अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन के लिए एक प्रस्ताव अपनाया जिसमें उन्होंने मांग की कि श्रमिकों से दिन में 8 घंटे से अधिक काम नहीं कराया जाना चाहिए. इसके साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि एक मई को अवकाश घोषित किया जाएगा.
भारत में कब मनाया गया मजदूर दिवस…
भारत ने 1 मई, 1923 को चेन्नई में मजदूर दिवस मनाना शुरू किया. इसे ‘कामगार दिवस’, ‘कामगार दिन’ और ‘अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस’ के रूप भी जाना जाता है. इस दिन को पहली बार लेबर किसान पार्टी ऑफ़ हिंदुस्तान द्वारा मनाया गया था, और इसे देश में राष्ट्रीय अवकाश माना जाता है. इस दिन, दुनिया भर के लोग श्रमिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने और उन्हें शोषण से बचाने के लिए मार्च और विरोध प्रदर्शन करके इस दिन को मनाते हैं. जागरूकता फैलाने के लिए कई देशों में इस दिन को सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया जाता है.
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