क्यों बुध ग्रह है इतना ख़ास ?

खासियत जान चौक जाएंगे आप...

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हमारे सौरमंडल में कुल आठ ग्रह हैं. इसमें सबसे छोटा और सूर्य के सबसे नजदीक वाला ग्रह है बुध. इसे अंग्रेजी में ‘मरक्यूरी’ के नाम से जाना जाता है. यह नाम एक संदेशवाहक रोमन देवता के नाम पर पड़ा है, क्योंकि यह ग्रह आकाश में काफी तेजी से गमन करता है. यह लगभग 88 दिन में ही अपना एक परिक्रमण पूरा कर लेता है. हम आपको इस ग्रह के कुछ ऐसे रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद ही जानते होंगे.

क्या है बुध ग्रह की खासियत ?

बुध ग्रह सौरमंडल के चार स्थलीय ग्रहों में से एक है, तथा यह पृथ्वी के समान एक चट्टानी पिंड है. यह 2,439.7 किलोमीटर के त्रिकोण वाला सौरमंडल का सबसे छोटा ग्रह है. बुध ग्रह सौरमंडल के बड़े उपग्रहों गेनिमेड और टाइटन से भी छोटा है, हालांकि यह उनसे भारी है. बुध तकरीबन 70% धातु व 30% सिलिकेट पदार्थ का बना है. इसकी सतह हजारों प्रभाव वाले गड्ढों से ढकी हुई है . बुध की सतह से सूर्य को पृथ्वी से देखने पर तीन गुना से अधिक बड़ा दिखाई देगा और सूर्य का प्रकाश 11 गुना अधिक चमकीला होगा.

बुध ग्रह पर जीवन संभव हैं ?

बुध ग्रह पर जीवन बिल्कुल भी संभव नहीं है, क्योंकि यहां का वायुमंडल मौसम रहित है. यानी इस ग्रह के वायुमंडल में पृथ्वी की तरह मौसमी घटनाएं नहीं होती. इसका औसत तापमान -173 से 427 डिग्री सेल्सियस के बीच बना रहता है, जो किसी भी जीव को पल भर में जमा दे या जला दे.

सुबह या शाम का तारा क्यों कहते हैं बुध ग्रह को

बुध ग्रह को सुबह या शाम का तारा भी कहा जाता है, क्योंकि यह सूर्योदय से ठीक पहले और सूर्यास्त के ठीक बाद आसमान में दिखाई देता है. यह सौरमंडल के उन पांच ग्रहों में से एक है जो आसमान में नग्न आंखों से देखे जा सकते हैं. बुध के अलावा अन्य चार ग्रह शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि हैं. बुध पर एक दिन पृथ्वी के 176 दिनों के बराबर होता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह ग्रह लगातार सिकुड़ रहा है. उनका कहना है कि चार अरब साल पहले जब बुध ग्रह की सतह सख्त हुई थी तब की तुलना में आज यह ग्रह सात किलोमीटर छोटा हो गया है.

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बुध की सतह पर हैं अजीब तरह की झुर्रियां

बुध का अपना कोई प्राकृतिक उपग्रह या चंद्रमा नहीं है. इसके अलावा यहां की सतह पर अजीब तरह की झुर्रियां पाई जाती हैं. माना जाता है कि बुध पर अत्यधिक गर्मी के कारण जैसे-जैसे ग्रह का लोहा सिकुड़ना शुरू हुआ, यहां की सतह झुर्रीदार बनती चली गई. इन झुर्रियों को ‘ लोबेट स्कार्प्स ‘ के नाम से जाना जाता है और ये झुर्रियां एक मील तक ऊंची और सैकड़ों मील लंबी हो सकती हैं.

written by – Harsh Srivastava

 

 

 

 

 

 

 

 

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