क्यों ईरान-तालिबान में छिड़ी जंग, जानिए विवाद का कारण

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दुनिया के दो देशों रूस और यूक्रेन के बीच एक साल से ज्यादा वक्त से जंग छिड़ी हुई है. जिसका प्रभाव विश्वस्तर पर हुआ है. वहीं दो कट्टर इस्लामिक देश ईरान और अफगानिस्तान के बीच युद्ध के हालात बनते नजर आ रहे हैं. बड़ी बात यह है कि यहां लड़ाई पानी को लेकर है. मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक रविवार को दोनों देशों की सेनाओं में बॉर्डर पर भिड़ंत हो गईं. इसमें चार सैनिकों के मौत की खबर सामने आई है. मृतक सैनिकों में तीन ईरानी सेना से और एक तालिबान से था.

जिसका प्रभाव विश्वस्तर पर हुआ है 

बता दें कि रिपोर्ट के मुताबिक ईरान की सरकारी एजेंसी आईआरएनए ने इस्लामिक रिपब्लिक बॉर्डर पर हुई इस भिड़ंत की जानकारी दी. जानकारी के अनुसार इनके बीच गोलीबारी ईरान के सिस्तान और बलूचिस्तान और अफगानिस्तान के निमरोज प्रांत के बॉर्डर पर हुआ है.

क्या है विवाद?

दरअसल दोनों देशों के बीच हेलमंड नदी के पानी को लेकर विवाद है. दोनों ही इस पानी पर अपना अधिकार जताते हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों देशों के बीच ये संघर्ष काफी गंभीर हो गया है. वहीं ईरान ने तालिबान पर आरोप लगाते हुए हेलमंड में पानी की कमी को जिम्मेदार ठहराया. इसके अलावा तालिबान का कहना है कि उसने ईरान को पानी की आपूर्ति बंद नहीं की है.

तालिबान ने ईरान को दी चेतावनी

इसके बाद अफगानिस्तानी तालिबान ने ईरान को चेतावनी दी है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार तालिबान के एक कमांडर हामिद खोरासानी ने कहा कि हम ईरान पर सिर्फ 24 घंटे में फतह मिल सकती है. इसके साथ ही तालिबान की तरफ से कहा गया कि ईरान ने ही सबसे पहले गोलीबारी शुरु की थी.

इंटरनेशनल नियमों का उल्लंघन

बता दें कि तालिबानी कमांडर अब्दुल हामिद खोरासानी ने एक वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट किया. इसमें उसने आरोप लगाया कि ईरान ने ही उकसाने के लिए कार्रवाई की थी. वहीं, ईरान ने चेतावनी देते हुए कहा कि अफगानिस्तान को इंटरनेशनल नियमों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए था. इसका खामियाजा अब उन्हें भुगतना पड़ेगा.

अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान का कब्जा

दरअसल अगस्त 2021 से अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान का कब्जा है. हालांकि, वह सत्ता पर काबिज होने के लिए 2001 से ही प्रयास कर रहा था. लेकिन अमेरिका ने तालिबान को काबुल से भगा दिया था. वहीं साल 2021 में जब अमेरिका की सेना वापस अपने वतन लौट गई तो तालिबान ने फिर काबुल पर कब्जा करके अपनी सरकार बना ली.
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