घरती में 10 किलोमीटर गहरा छेद कर रहा चीन, क्या है इसके पीछे का मकसद

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पृथवी के अंदर लगभग 50 से 100 फिट खोदने पर पानी मिल जाता है. और 1000 फिट से ऊपर जाने के बाद कच्चा तेल और गैस मिल जाती है. इससे भी कम गहराई पर कोयला और तमाम अयस्क मिल जाते हैं. अब इसके बाद चीन पृथ्वी में लगभग 32 हजार फिट का गहरा छेद करने जा रहा है. चीन की मीडिया के मुताबिक, जिनजियांग प्रांत के तारिम बेसिन में यह खुदाई शुरू कर दी गई है. लगभग 10 किलोमीटर से भी ज्यादा गहरे इस छेद के जरिए चीन की कोशिश पृथ्वी से जुड़े कई राज जानने की है.

इसके पहले भी वर्ष 1970 से 1992 के बीच में रूस ने भी इसी तरह की खुदाई की थी. इन 22 सालों में 12,262 फीट गहरा छेद किया गया. रूस का यही छेद दुनिया का सबसे गहरा कृत्रिम बिंदु है यानी जिसे इंसानों ने बनाया है. रूस के बाद चीन भी इस तरह का छेद करके पृथ्वी के विकास के इतिहास और उसकी संरचना के बारे में और भी ज्यादा जानना चाहता है. आइए इसे विस्तार से समझें…

जानिए- क्या है चीन का मकसद?

इस ड्रिलिंग ऑपरेशन में काम कर रहे टेक्निकल एक्सपर्ट वांग चुनशेंग ने मीडिया को बताया, ’10 हजार मीटर से भी ज्यादा गहरा बोरहोल खोदना बहुत बड़ा कदम है. इससे पृथ्वी के अनजाने पहलुओं के बारे में जानकारी मिलेगी और धरती के बारे में इंसानी समझ को भी और व्यापकता मिलेगी।’ इससे भूकंप, ज्वालामुखी और जलवायु परिवर्तन और हजारों साल पुरानी घटनाओं और उनके इतिहास को ज्यादा बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी.

स्पेस साइंस के साथ-साथ चीन धरती के नीचे की रिसर्च में भी तेजी से कदम बढ़ा रहा है. यह खुदाई 10 महाद्वीपीय परतों से होकर गुजरेगी जिससे पृथ्वी के महाद्वीपों के इतिहास, जलवायु परिवर्तन, जीवन के विकास और पृथ्वी के इतिहास को समझने में मदद मिलेगी. वैसे चीन ने इस खुदाई और इसके मकसद के बारे में ज्यादा विस्तृत जानकारी नहीं दी है.

क्या होंगी चुनौतियां?

चीन यह खुदाई अपने सबसे बड़े मरूस्थल तकलीमकान में कर रहा है। इस इलाके में रेत और धूल भरी आंधी का प्रकोप इतना ज्यादा रहता है कि यहां कोई भी काम कर पाना बेहद मुश्किल है. अब देखना यह होगा कि चीन इस खुदाई को किस तरह अंजाम देता है और कितनी गहराई तक यह खुदाई हो पाती है.

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