मकर संक्रांति का त्योहार 15 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है। इस त्योहार के खास मौके पर खिचड़ी व दही-चूड़ा खाने का भी विशेष महत्व होता है। मकर संक्रांति को कई जगहों पर खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन खिचड़ी खाना शुभ माना जाता है। यूपी-बिहार की तरफ इस दिन दही-चूड़ा भी खाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी व दही-चूड़ा खाने का धार्मिक महत्व जानते हैं। साथ ही जानेंगे इसे खाने का वैज्ञानिक कारण भी।
क्यों खाते हैं मकर संक्रांति पर दही चूड़ा और खिचड़ी…
-दही-चूड़ा खाने के पीछे धार्मिक वजह की बात करें तो इसे खाना शुभ माना जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने पर सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन दही चूड़ा और खिचड़ी का दान भी शुभ माना जाता है। यूपी और बिहार में संक्रांति के दिन दही चूड़ा का भोग लगाया जाता है और माना जाता है कि ऐसा करने पर सूर्य देवता आशीर्वाद देते हैं।
-धार्मिक महत्व के साथ मकर संक्रांति पर दही-चूड़ा और खिचड़ी खाने का वैज्ञानिक महत्व भी होता है. सेहत के द्दष्टिकोण से दही-चूड़ा और खिचड़ी हल्का भोजन होता है जो आसानी के साथ पच जाता है. इन चीजों को सेवन करने से पाचनक्रियाएं सही तरीके से कार्य करते हैं.
मकर संक्रांति का महत्व…
विद्वानों के मुताबिक मकर संक्रांति पर जो खिचड़ी बनाई जाती है उसका संबंध किसी न किसी ग्रह से रहता है. जैसे खिचड़ी में इस्तेमाल होने वाले चावल का संबंध चंद्रमा से होता है. खिचड़ी में डाली जाने वाली उड़द की दाल का संबंध शनिदेव, हल्दी का संबंध गुरु देव से और हरी सब्जियों का संबंध बुध देव से माना गया है. इसके अलावा खिचड़ी में घी का संबंध सूर्य देव से होता है. इसलिए मकर संक्रांति की खिचड़ी को बेहद खास माना जाता है. मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने के साथ साथ किसी ब्राह्मण को दान भी जरूर करें.
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