दीपावली पर क्यों दी जाती है उल्लू की बलि, हो जाएंगे हैरान …
पूजा, सजावट, हवन, मंत्र संग किए जाते हैं साथ और टोटके
दीपावली को सुख – समृद्धि और रौशनी का पर्व माना गया है. इस अवसर पर कई तरह से पूजी की जाती है ताकि माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के साथ उन्हें अपने घर में बसाया जा सके. धन संपदा को बनाए रखने के लिए हर कोई अपने ढंग से कुछ न कुछ करता है. शायद यही वजह है कि दीपावली पर पूजा, सजावट, हवन, मंत्र के साथ तंत्र और टोटके भी किए जाते हैं, जिससे उनके परिवार पर माता लक्ष्मी कृपा बनी रहे. इन तमाम तरीकों में शामिल है उल्लू की बलि.
दरअसल, दीपावली के दिन उल्लू की बलि का प्रचलन कई स्थानों पर देखने को मिलता है. इसको लेकर लोगों में मान्यता है कि दीपावली के मौके पर उल्लू की बलि देने से धन संपदा में बढोतरी होती है. इसी वजह से दीपावली के अवसर पर अपनी मनोकामना और हित के लिए लोग उल्लू की बलि देते हैं. इसके चलते दीपावली के मौके पर भारी संख्या में उल्लूओं को मौत के घाट उतरा जाता है. आइए जानते है कैसे शुरू हुई ये परंपरा और क्या सच में मिलता है इसका लाभ या बस है यह अंधविश्वास….
धन की देवी लक्ष्मी का वाहन है उल्लू
हिन्दू धर्म जीवन रक्षा से लेकर प्रकृति प्रेम की शिक्षा दी जाती है. यही कारण है कि हिन्दू देवी देवताओं के ज्यादातर वाहन जानवर ही है. इनमें प्रमुख रूप से गणेश जी का चूहा, मां दुर्गा का शेर, शिवजी का बैल, भगवान विष्णु का गरूड़ और मां लक्ष्मी का वाहन उल्लू आदि है. उल्लू मां लक्ष्मी का काफी प्रिय है. ऐसे में लोग इन सभी जानवरों में भगवान का अंश पाते हैं, जिसकी वजह से इन जानवरों को पूजने के साथ इनकी रक्षा भी करते हैं. दूसरी ओर कुछ लोग दीपावली के दिन लालच के चलते उल्लू की बलि देते हैं. ऐसे में सोचने वाली बात यह है कि लोग कैसे यह मान लेते है की मां लक्ष्मी अपने प्रिय वाहन की बलि के बाद प्रसन्न हो जाएगी और उस व्यक्ति के यहां विराजमान रहेंगी.. बल्कि वह तो उस व्यक्ति की इस हरकत से नाराज जरूर हो सकती हैं.
क्या उल्लू की बलि से प्रसन्न होती है मां लक्ष्मी ?
कई लोगों का मानना है कि उल्लू अशुभ है, लेकिन क्योंकि वह मां लक्ष्मी का वाहन है, इसलिए उसे शुभ माना जाता है. दीपावली के मौके पर उल्लू की पूजा की जाती है और फिर उसकी बलि दे दी जाती है इसे समझना थोड़ा अजीब है. उल्लू मां लक्ष्मी का वाहन है, इसलिए वह प्रसन्न कैसे हो सकती हैं ? लेकिन यह सब जानने के बाद एसे लोगों की स्वार्थी मानसिकता पर तरस आता है. उल्लू की बलि देने से मां लक्ष्मी कहीं नहीं जाती क्योंकि उसी की सवारी कर वह विचरण करती हैं. मान्यता है चूंकि उल्लू पर सवार होकर ही मां लक्ष्मी विचरण करती हैं इसलिए उसकी बलि देने से मां लक्ष्मी कहीं आ-जा सकने से लाचार हो जाती हैं और बलि देने वाले के घर में हमेशा के लिए बस जाती हैं.
क्यों दी जाती है उल्लू की बलि
माना जाता है कि दीपावली की पूजा के बाद उल्लू की बलि दी जाती है. इसके बाद उसके शरीर के सभी अंगों को अलग-अलग स्थानों पर रखा जाता है ताकि धन हर जगह फैल जाए. जैसे, उल्लू की आंखें ऐसी जगह रखी जाती हैं जहां मिलना-मिलाना होता है क्योंकि माना जाता है कि उसकी आंखें सम्मोहक होती हैं. पैर तिजोरी में डाल दिए जाते हैं. चोंच का इस्तेमाल दुश्मनों को हराने के लिए किया जाता है. इसके अलावा उल्लुओं का इस्तेमाल मारण और वशीकरण जैसी तांत्रिक क्रियाओं के लिए भी किया जाता है. वहीं सम्मोहन के लिए उल्लू के नाखून से काजल भी बनाया जाता है. इसके बारे में कई मान्यताएं हैं, जो स्थानानुसार बदलती रहती हैं.
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देश में मां लक्ष्मी के वाहन की क्या है दशा?
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के एक लेख में बताया गया है कि, “भारत में उल्लूओं की 36 प्रजातियां पायी जाती हैं. इन सभी को भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत शिकार, कारोबार या किसी प्रकार के उत्पीड़न से बचाव का संरक्षण प्राप्त है।” इसके आगे लेख में कहा गया है कि,” कानूनी सुरक्षा के बावजूद आमतौर पर उल्लू की कम से कम 16 प्रजातियों की तस्करी और कारोबार होता है. इसमें ब्राउन फिश उल्लू, ब्राउन हॉक उल्लू, कॉलर वाला उल्लू, काला उल्लू, पूर्वी घास वाला उल्लू, जंगली उल्लू, धब्बेदार उल्लू, पूर्वी एशियाई उल्लू और चितला उल्लू शामिल हैं.”
अब सोचिए, एक तरफ लोग लक्ष्मी मां को प्रसन्न करने के लिए अपनी जी- जान से जुटे रहते हैं, वहीं दूसरी तरफ लोग अंधविश्वास के कारण खुद लक्ष्मी को पकड़ने के लिए अपने वाहन की बलि देते हैं. असल में, लोग अनिश्चित हैं कि उन्हें खुद को खुश करना है या देवी को. वह देवी को मूर्ख बनाकर सिर्फ खुद को खुश करना चाहते हैं और इसके लिए किसी मूर्ख जानवर की बलि देने से भी नहीं हिचकते हैं. अब ये भक्ति है क्या और इस भक्ति के माध्यम से देवी कृपा कैसे करेगी ? स्वयं विचार करें.