मुसलमान जोगी अब डरने लगे हैं !

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पहले गांव में जब जोगी आता था तो वह केवल जोगी होता था। लोग श्रद्धा से नतमस्तक हो उसे अन्नदान व वस्त्रदान दिया करते थे। लेकिन अब मुसलमान जोगी व हिंदू जोगी का वर्गीकरण होने लगा है। गोरखपुर प्रवास के दौरान मेरे कुछ सहपाठी अंसारी बिरादरी के थे। वे मेरे साथ गोरखनाथ मंदिर जाते थे। उनके गांव बिरादरी के कुछ लोग नाथ सम्प्रदाय के जोगी थे। गुरु गोरखनाथ ने ब्राह्मणवाद का पुरजोर विरोध किया था। यही कारण है कि मुझे कोई ब्राह्मण जोगी आज तक नहीं मिला। साधु सन्यासी तो बहुत मिल जाएंगे। जोगी बनने वाले दलित लोगों में से बहुत हैं। अंसारी बिरादरी भी दलित वर्ग से आते हैं, इसलिए इस वर्ग से मुसलिम जोगी बहुत बने।

मुस्लिम जोगी गोरखनाथ के मंदिर में जाते थे। वहां के भण्डारे में शामिल होते थे। अब वे बहुत कम आते हैं या बिल्कुल भी नहीं आते। उनसे अब उनका धर्म पूछा जाने लगा है। गोरखनाथ का मंदिर हिंदुत्व का केन्द्र हो गया है। मुसलमान जोगी का नाथ सम्प्रदाय से सम्बंध बहुत कमजोर हो चला है। एक जमाना था जब गोरखपुर के तमाम जुलाहे योगी आदित्यनाथ को ही वोट देते थे। गांव-गांव घूमकर ये मुसलमान जोगी भर्तृहरि व गोपीचंद के गीत गाते थे। गेरुआ पहनते थे। नाथ सम्प्रदाय का मुसलिम संत कबीर, जायसी, दाऊद पर व्यापक प्रभाव पड़ा है।

मुसलमान जोगियों के अपने गांव होते हैं

गोरखपुर, देवरिया,आजमगढ़ के गांवों में मुसलमान जोगियों के कुछेक परिवार आज भी रहते हैं। मुसलमान जोगी अकेले या समूह में पांच छः महीनों के लिए बाहर निकलते हैं। घूमते फिरते ये बिहार, झारखण्ड होते हुए पश्चिम बंगाल तक पहुंच जाते हैं। पश्चिम बंगाल में इनकी बहुत आवभगत होती है। बंगाल के लोग गोरखनाथ की पवित्र धरती से आया जान इन्हें ढेर सारा दान देते हैं। मुसलमान जोगी जिस सारंगी को बजाते हैं उसके बारे में प्रसिद्ध है कि इसे खुद गोपीचंद ने डिजाइन किया था।

मुसलमान जोगी अब डरने लगे हैं। कोई उनसे यह न पूछ दे कि वह गेरुआ क्यों पहनते हैं? इनसे नफरत करने वालों में हिंदू भी हैं तो मुसलमान भी हैं। हिंदू सोचते हैं कि गेरुए पर केवल उनका ही अधिकार है। मुसलमान सोचते हैं कि गेरुआ पहन लेने से इस्लाम खतरे में पड़ जाएगा। मुसलमान जोगी अपने पास भरथरी चरित्र और भरथरी हरि दो पुस्तकें हरदम साथ रखते हैं, जिन्हें अब वे छुपाने लगे हैं। बेटा बाप को इस ध्यात्म से निकाल किसी छोटे-मोटे व्यवसाय के लिए राजी करने लगा है। पत्नी पीहर जाने से पहले जोगी की सारंगी संदूक में बंद करने लगी है।

(ये  लेखक के निजी विचार हैं)

sd ojha इंजी. एसडी ओझा

(लेखक इंजीनियर हैं व समय समय पर तमाम विषयों पर लेख लिखते रहते हैं। यह लेख उनके फेसबुक पेज से लिया गया है)

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