…पर तुम तरस नहीं खाते, दूसरों का घर जलाने में, देखें वीडियों
अगर हम रास्तों से गुजर रहे हैं और कोई घायल हो तो हम क्या करेंगे? बेशक हम उसकी मदद के लिए आगे आयेंगे, ये मानव धर्म है लेकिन अब ये धर्म बंट चुका है और इसे बांटा धर्म के कुछ ठेकेदारों ने। दुनिया में सभी जगह कई धर्म के ठेकेदार के रुप में ऐसे लोग भी हैं जो किसी की मदद करने के पहले धर्म की पड़ताल करते हैं फिर मदद करते हैं।
वो लोग इस घटना के बारे में क्या कहेंगे?
कुछ ऐसा ही मामला बंग्लादेश में 10 नवंबर को हुआ जिसमें 30 से अधिक हिंदुओं के घरों को आग के हवाले कर दिया गया। फेसबुक पर एक टिप्पणी किये जाने से लोगों ने दर्जनों घरों को आग के हवाले कर दिया गया।वहां के लोग मूकदर्शक बनकर देखते रहे। अब कहां हैं वो लोग जो रोहिंग्या और फिलीपींस पर हो रहे अत्याचारों पर दया करने को बोल रहे थे? वो लोग इस घटना के बारे में क्या कहेंगे?
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न जाने अब तक कितने हिंदू इसका शिकार हो चुके हैं और कितनों के आशियाने खाक में मिल चुके हैं। आपको बता दें कि 1947 के भारत पाकिस्तान के बंटवारे के बाद से ऐसी कई घटनाएं होती रही हैं। कुछ लोगों में मजहब देख कर दय़ा की भावना जागती है। अब पूरी दुनिया खामोश क्यों है? ऐसी घटनाएं शायद लोगों का दिल नहीं पसीजती होंगी।
हिंदुओं की देवी-देवताओं की मूर्तियों को तोड़ दिय़ा था
ये पहला केस नहीं है जब धर्म के नाम पर किसी को मार दिया गय़ा हो या किसी का घर फूंक दिया गया हो। 1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद से न जाने कितने हिंदुओं धर्म के नाम पर हिंसा का शिकार हो चुके हैं। अगर हम पिछले आंकड़ों को देखें तो 2014 में 760 बंग्लादेशी हिंदुओं के घरों को जला दिया गया तो 2015 में बंग्लादेश के कट्टरपंथियों ने हिंदुओं की देवी-देवताओं की मूर्तियों को तोड़ दिय़ा था।
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जुलाई, 2016 में बंग्लादेश के सातखिरा जिले में मंदिर के पुजारी की हत्या कर दी गई। न जाने ऐसे कितने ही हिंदू हिंसा का शिकार हो चुके हैं। बंग्लादेश में जैसे हालात हैं इससे तो ऐसा लगता है कि वहां से हिंदुओं का सफाया किये जाने का प्रयास किया जा रहा है।
अब यह संख्या 9 प्रतिशत से भी कम रह गई है
बंग्लादेश के कट्टरपंथी इसी तरह से माहौल पैदा करके हिंदुओं को देश छोड़ने पर मजबूर कर देते हैं और उनकी संपत्तियों पर कब्जा कर लेते हैं। दुनिया में हिंदू आबादी वाले 3 सबसे बड़े देशों में बंग्लादेश भी शामिल हैं। बंग्लादेश में हिंदूओं की जनसंख्या अब यह संख्या 9 प्रतिशत से भी कम रह गई है जबकि पहले यह 28 प्रतिशत से आधिक थी।
(साभार- जी न्यूज और यूट्यूब)
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