विदेशों से मिले उपहारों का क्या करेंगे पीएम मोदी, अपने पास रखेंगे या देश को सौंपेंगे

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बीते दिनों भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई विदेशी यात्राओं से लौटे हैं। इन विदेशी दौरों में पीएम मोदी को कई कीमती उपहार मिले हैं। ऐसे में ये चर्चाएं भी तेज हो गई हैं कि पीएम मोदी इन उपहारों का क्या करेंगे। इनमें से कितने उपहार पीएम मोदी खुद अपने पास रखेंग और कितने उपहार देश को  सौंपेंगे। पीएम मोदी को अमेरिकी दौरे में एआई भविष्य लिखी हुई टी-शर्ट, 157 यूएस में हाथ  से बनी कलाकृतियां और भी कई बेशकीमती उपहार मिले हैं। मिस्र के दौरे में पीएम मोदी को सोने के हार के रूप में मिस्र का सम्मानित पुरस्कार मिला है। 

देश के प्रधानमंत्री कहीं जाते हैं तो उन्हें कई उपहारों से सम्मानित किया जाता है। उन्हें कोई ट्रेडिशनल अंगवस्त्र, पेंटिग्स, लोक कलाकृतियां और कई कीमती गिफ्ट देते हैं। भारत के प्रधानमंत्री को हर साल अलग-अलग मौकों पर कई उपहार भी मिलते हैं। इसमें खिलाड़ियों, राजनेताओं और विभिन्न देशों के राजनयिकों द्वारा दिए गए उपहार भी शामिल हैं। दो देशों के बीच उपहारों का आदान-प्रदान बहुत पुरानी प्रथा है। इसे दोनों देशों के आपसी संबंधों का प्रतीक माना जाता है। उपहारों के आदान-प्रदान से रिश्ते मजबूत होते हैं। मगर इन उपहारों को प्रधानमंत्री खुद अपने पास नही रख सकते हैं। इन सभी उपहारों को सरकारी तोशाखाना में जमा करना पड़ता है। दरअसल, भारत में गिफ्ट डेप्लोमेसी का नियम है।

गिफ्ट डेप्लोमेसी का नियम

भारत में गिफ्ट डेप्लोमेसी का नियम लागू है। इन नियमों के अनुसार आधिकारिक यात्रा के दौरान प्राप्त किसी भी उपहार को सरकार के तोशाखाना में जमा करना होगा। यह अधिकारी के दौरे से लौटने के 30 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए। उपहार जमा करने के बाद, अधिकारी उपहार के मूल्य का आकलन करते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोई भी उपहार जिसका मूल्यांकन मूल्य 5,000 रुपये से कम है, प्राप्तकर्ता को वापस कर दिया जाता है।

गिफ्ट रखने के लिए देना पड़ता है मूल्य

हालांकि, यदि व्यक्ति इस मूल्य से अधिक उपहार अपने पास रखना चाहता है, तो वह सीमा और उपहार के मूल्यांकन मूल्य के बीच के अंतर का भुगतान कर सकता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रतीकात्मक मूल्य के उपहार प्राप्तकर्ता द्वारा अपने पास रखे जा सकते हैं। विदेश मंत्रालय सरकार को सौंपे गए उपहारों की एक सूची रखता है, जिसे उसकी वेबसाइट से देखा जा सकता है। यही नियम भारत के बाहर के देशों में भी लागू होते हैं।  विदेशी डाकघर के एक सीमा शुल्क मूल्यांकनकर्ता सहित तीन सदस्यीय बोर्ड उपहारों के मूल्य का आकलन करता है। विदेश मंत्रालय के तहत, सभी उपहार तोशाखाना में जमा किए जाते हैं। सरकारी भवन, जैसे राजभवन में इसे रखा जाता है। इन्हें राज्य संपत्ति के रूप में प्रदर्शित या उपयोग किया जाता है।

2014 में शुरू हुई थी उपहारों की नीलामी

भारत के तोशाखाना में रखे उपहारों की पीएम मोदी ने नीलामी शुरू करवाई थी। पीएम नरेंद्र मोदी 2014 में जब प्रधानमंत्री बने थे तो उनका पीएम दौरा शुरू हुआ था। विदेशों से पीएम मोदी को मिले तोहफों की पहली नीलामी 2018 में हुई थी। तब 1500 से ज्यादा उपहारों को चुना गया था, जिसकी नीलामी होने वाली थी। इसके बाद हर वर्ष नीलामी का आयोजन किया जाने लगा। 2018 के बाद 2019 में 2500 से ज्यादा तोहफे नीलाम किए गए थे। उसी तरह से 2020 में कोरोना की वजह से यह नीलामी नहीं हुई। वहीं, 2021 में भी 2500से ज्यादा गिफ्ट्स की नीलामी हुई थी।

2021-2022 में पीएम मोदी को मिले थे 30 गिफ्ट

विदेश मंत्रालय की उपहार समिति के विवरण के अनुसार, अप्रैल 2021 से अप्रैल 2022 के बीच, प्रधान मंत्री मोदी को विदेशी यात्राओं के दौरान और अन्य माध्यमों से 30 से अधिक उपहार मिले। इस दौरान पीएम मोदी ने डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, इटली, यूके, अमेरिका, बांग्लादेश जैसे देशों का दौरा किया था। इस दौरान पीएम मोदी को मिला सबसे कीमती तोहफा लकड़ी, चांदी और सोने से बना शतरंज का सेट था। इसकी कीमत पांच लाख रुपये बताई गई थी। इसके अलावा उन्हें बर्तनों के चार सेट भी गिफ्ट किए गए, जिनकी कीमत 4.5 लाख रुपये है। 2005 से भारत में उपहार चयन का काम विदेश कार्यालय की उपहार समिति करती है। पहले यह जिम्मेदारी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के पास थी।

विदेशों में लागू होता है नियम

विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम 2010 के अनुसार, जब किसी भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य को कोई उपहार मिलता है, तो उसे इसे तीस दिनों की अवधि के भीतर संबंधित मंत्रालय या विभाग को सौंपना होता है। अगर उपहार की कीमत 5,000 रुपये से कम है तो नेता उसे अपने पास रख सकता है। हालांकि नेता इससे अधिक मूल्य के उपहार अपने पास रख सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें इसे वास्तविक कीमत पर सरकार से खरीदना होगा। ये नियम लगभग हर देश में है।

 

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