शस्त्र व शास्‍त्र है यहां की छात्राओं की पहचान

पा‍णिनी कन्या महाविद्यालय में लेती हैं गुरुकुल की शिक्षा

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घर की चहारदीवारी तक सीमित रहने वाली कन्याैओं की आवाज वेदशालाओं और यज्ञशालाओं में मंत्रों संग गूज रही है. कर्मकाण्ड के क्षेत्र में पुरुषों के आधिपत्य को चुनौती दे रही हैं. इतना ही नहीं शस्त्रय चलाने में भी निपुणता हासिल की है. यह हैं पाणिनी कन्या महाविद्यालय की छात्राएं। इनकी पहचान शस्त्र और शास्त्र है. बनारस के महमूरगंज स्थित पाणिनी कन्या महाविद्यालय में शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा ले रही बच्चियां देश की संस्कृति और परंपरा को बचाने की एक पहल कर रही हैं. यहां पर प्रवेश लेने के बाद वैदिक पाठशाला की तरह ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद, सामवेद का अध्ययन करती हैं। महाविद्यालय की प्राचार्य ने बताया कि बच्चियां वेद पाठ और संस्कृत सीख रहीं हैं। ये अलग अलग प्रदेशों से आई हैं।

गुरुकुल का करती हैं पालन

आर्य समाज का झंडा थामे पाणिनी गुरुकुल की छात्राएं देश-विदेश में काशी को अलग पहचान दिला रही हैं। वेद, संस्कृत, व्याकरण, शस्त्र चलाने से लेकर कर्मकांड में पारंगत इन छात्राओं की जुबान पर संस्कृत की वाणी होती है। पाणिनी कन्या महाविद्यालय में अध्ययन के दौरान पूरी तरह से गुरुकुल के नियमों का पालन करती हैं। दस साल की उम्र में महाविद्यालय आ जाती हैं और सालों तक शास्त्रों के साथ ही शस्त्र विद्या में निपुणता हासिल करती हैं। इसकी योग्यता का अंदाज इसी बात से होता है कि इनकी पहचान आज कर्मकांड कराने वाली छात्राओं के तौर पर है। ये गुजरात, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड और देश के कोने कोने में वेद और उपनिषदों का ज्ञान बांट रही हैं। साथ ही साथ तीरंदाजी, तलवारबाजी, मार्शल आर्ट जैसे युद्ध कला में पारंगत होती हैं।

 

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ये है इनकी खूबियां

– पाणिनी कन्या महाविद्यालय की छात्राएं वेदपाठ, कर्मकांड कराती हैं
– योग में भी इन्हें निपुणता हासिल है। लोगों को योग की शिक्षा भी देती हैं
– धनुष-बाण, भाला, तलवारबाजी में बेहद कुशल हैं।
– देश में वेद का प्रचार करना है इनका मकसद
– समय समय कई आंदोलनों का भी बनती हैं हिस्सा

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