राष्ट्रपति की मंजूरी से वक्फ विधेयक कानून में तब्दील

राष्ट्रपति की मंजूरी से वक्फ विधेयक कानून में तब्दील

नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को अपनी मंजूरी दे दी है. केंद्रीय विधि मंत्रालय ने शनिवार, 5 अप्रैल को इसकी अधिसूचना जारी की. यह विधेयक लोकसभा और राज्यसभा में तीन दिन तक चली तीखी बहस के बाद पारित हुआ.

विपक्ष ने जताई आपत्ति, सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

विधेयक को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. उनका कहना है कि यह कानून संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और धार्मिक स्वतंत्रता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है.

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धार्मिक परंपराओं में हस्तक्षेप नहीं

सरकार ने विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए स्पष्ट किया है कि यह संशोधन मुस्लिम समुदाय की धार्मिक प्रथाओं या दान की प्रकृति में कोई दखल नहीं देता. लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वक्फ एक धार्मिक दान होता है, जिसे केवल मुस्लिम ही दे सकता है.
उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड और परिषदें धार्मिक नहीं बल्कि प्रशासनिक संस्थाएं हैं. इनमें गैर-मुस्लिमों को केवल यह सुनिश्चित करने के लिए शामिल किया गया है कि वक्फ संपत्तियों और दान का सही उपयोग हो.

राज्यसभा में करीबी अंतर से पारित हुआ बिल

वक्फ विधेयक को राज्यसभा में बहुत कम मतों के अंतर से पारित किया गया, जिसे लेकर विपक्ष ने आश्चर्य और असहमति जताई है. सरकार ने इसे एक आवश्यक सुधार बताया है, जबकि विपक्ष इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला मान रहा है.

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नया वक्फ कानून पूर्व प्रभाव से लागू नहीं होगा

वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को पहले लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन विपक्ष की आपत्तियों के चलते इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया. समिति की सिफारिशों को शामिल करते हुए नया वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 संसद में पेश किया गया और इसे पारित कर दिया गया. इस विधेयक में सबसे बड़ा संशोधन यह किया गया है कि अब यह कानून पूर्व प्रभाव से लागू नहीं होगा.