कभी गरीबी की वजह से नहीं हो रही थी शादी, आज हैं 73 सौ करोड़ के मालिक
गरीबी क्या होती है, इसका अंदाजा सिर्फ उसी को होता है, जिसने गरीभी देखी हो। हमारे देश में ऐसे लोगों की तादाद बहुत बड़ी है, जिन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती है। लेकिन इसी देश में कुछ लोग ऐसे भी है, जिन्होंने गरीबी को अपनी कमजोरी नहीं बनने दी और अपनी मेहनत के बल पर सफलता की एक मिसाल कायम की है। वो हैंPaytmके फाउंडर और सीईओ विजय शेखर शर्मा।
इनकी लाइफ में एक दौर ऐसा भी था, जब इनकी जेब में खाना खाने के लिए पैसे भी नहीं होते थे। पेट भरने के लिए दोस्तों के यहां बहाने से पहुंच जाते थे और खाना खाते थे। लेकिन हिम्मत नहीं हारी और मेहनत करने से कभी पीछे नहीं हटे। 2 लाख रुपए लगाकर One-97 नाम की कंपनी की शुरुआत करने वाले विजय शेखर आज 7300 करोड़ के मालिक है।
अलीगढ़ में हुआ था जन्म
यूपी के छोटे से शहर अलीगढ़ से आए विजय को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा है। शुरुआती पढ़ाई हिंदी में होने के कारण आगे की पढ़ाई में उन्हें काफी दिक्कत हुई। मात्र 14 साल में इंटर कर लेने के बाद जब वह दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बीटेक करने आए तो पढ़ाई में उनका मन ही नहीं लगा। पूरी पढ़ाई अंग्रेजी में होने के कारण इंजीनियर बनना उनके लिए मुसीबत बन गया था।
अंग्रेजी बनी मुसीबत
स्कूल में तो वे पढ़ने में काफी होशियार थे। टॉपर भी रहे, लेकिन कॉलेज में फिसड्डी हो गए थे। टीचर क्या पढ़ा रही है, समझ ही नहीं आता था, क्योंकि पूरी पढ़ाई अंग्रेजी में ही होती थी। इसलिए वे बैक बेंच पर बैठते थे। क्लासमेट उन्हें बैक बेंचर कहकर चिढ़ाते थे।
जब छोड़ दिया कॉलेज
एक वक्त ऐसा भी आया, जब उन्होंने कॉलेज जाना ही छोड़ दिया था। लेकिन हार नहीं मानने की उनकी जिद के आगे अंग्रेजी भी कमजोर पड़ गई। डिक्शनरी से हिंदी को अंग्रेजी में ट्रांसलेट करके पढ़ते थे। इंग्लिश किताबों, मैगजीन्स और दोस्तों की मदद से विजय फर्राटे से अंग्रेजी बोलना सीख गए।
कॉलेज करते थे बंक
एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था, मेरी इंग्लिश काफी कमजोर थी। जब मैंने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया तो वहां काफी हीन भावना का सामना करना पड़ा। वहां सब फर्राटेदार इंग्लिश बोलते थे, जबकि हिंदी मीडियम से पढ़ाई होने के चलते मेरी इंग्लिश काफी कमजोर थी। मुझे डर लगा रहता था कि कहीं कोई प्रोफेसर इंग्लिश में कोई सवाल न पूछ ले। इसीलिए मैं क्लास बंक करके टाइम पास के लिए कम्प्यूटर लर्निंग क्लास में चला जाता था।
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खुद की कंपनी बनाने का हुआ मन
घर पर बिजनेस करने का बहुत विरोध हुआ। घरवाले चाहते थे कि वे नौकरी करें, लेकिन उनका मन खुद की कंपनी बनाने का था। घर में नौकरी वाला ही माहौल था। पापा स्कूल में टीचर थे, मम्मी हाउस वाइफ थीं। दादाजी काफी नामी- गिरामी व्यक्ति थे। उनके नाम पर विजयगढ़ में स्कूल था। उन्होंने बताया था कि वे इंजीनियर बनकर अमेरिका जाना चाहते थे। दिल्ली के टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रानिक एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग की तो लगा कि जो काम वे अमेरिका में कर सकते थे, वो काम देश में रहकर भी किया जा सकता है।
कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम बनाने से शुरुआत की
हॉटमेल के संस्थापक सबीर भाटिया और याहू के संस्थापक जेरी यांग एवं डेविड फिलो को उन्होंने अपना आदर्श बनाया। विजय ने अपने दोस्तों के साथ कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम बनाने से शुरुआत की। काफी कम लोग जानते हैं कि आज इंडियन एक्सप्रेस जैसे कई बड़े पब्लिकेशन्स उसका इस्तेमाल करते हैं। विजय ने कुछ महीने नौकरी भी की, लेकिन कंपनी खोलने के जूनून ने ज्यादा वक्त तक उन्हें टिकने नहीं दिया।
One-97 नाम की कंपनी की शुरुआत की
2001 में 2 लाख रुपए लगाकर One-97 नाम की कंपनी की शुरुआत की, जो मोबाइल से जुड़ी वैल्यू ऐडेड सर्विसेस देती थी। कॉमर्स में ज्यादा अनुभव न होने के कारण कंपनी की हालत एक साल में ही खराब होने लगी। खाने-पीने के लिए भी उनके पास पैसे तक नहीं बचे। दो वक्त सिर्फ चाय पीकर ही गुजारा करते थे। पैसे बचाने के लिए वे बस के बजाए पैदल चलते थे। घर-घर जाकर कम्प्यूटर के छोटे-मोटे काम करते थे।
शादी के लिए कोई नहीं आता था
विजय ने बताया था कि 2004 तक उनकी हालत इतनी खराब थी कि जो भी शादी का रिश्ता लेकर आते थे, वो असलियत जानने के बाद दोबारा लौटकर नहीं आते थे। जब कंपनी की हालत बिल्कुल खराब हो गई तो वे निराश हो गए। लेकिन ये सोच लिया था कि जो करना है, वो इसी में करना है। उसी समय मोबाइल के क्षेत्र में ग्रोथ हुआ और ज्यादातर लोग अपना काम मोबाइल पर करने लगे। इस दौरान उनकी कंपनी की भी धीरे-धीरे ग्रोथ होने लगी। लोगों में इंटरनेट बेस्ड कामों की मांग बढ़ने लगी। 2005 में पहली बार कंपनी प्रॉफिट में आई।
ऐसे पड़ी Paytm की नींव
Paytmके शुरू होने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। किराने का सामान या ऑटोवाले को पैसे देते वक्त छुट्टे की दिक्कत ने उनको Paytmजैसी कंपनी बनाने के लिए प्रेरित किया। आज नोटबंदी के दौर में Paytmसभी का सहारा बन गया है। Paytmको 2011 में लॉन्च किया।
‘न्यूजमेकर ऑफ द ईयर’ का अवॉर्ड
2016 में उन्हें ‘न्यूजमेकर ऑफ द ईयर’ का अवॉर्ड मिला है। नोएडा में Paytmका हेडक्वार्टर है। इस ऑफिस में विजय ने अपने लिए कोई केबिन नहीं बनवाया है। वे भी बाकी साथियों के साथ ही बैठते हैं। ऑफिस में उनके साथी उन्हें ‘रेजीडेंट डीजे’ कहकर बुलाते हैं। म्यूजिक सुनना उन्हें बेहद पसंद है।