एक आइडिया ने बदली जिंदगी, तीन साल में खड़ी कर दी 100 करोड़ की कंपनी

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एक नई सोच के साथ जब कोई व्यक्ति काम करता है तो उसे सफलता ज़रूर मिलती है। वह सोच उसकी जिंदगी ही बदल देती है। यह कहानी उस व्यक्ति की है, जिसने एक आईडिया को अपनी ज़िन्दगी का टर्निंग पॉइन्ट बना लिया। सिर्फ तीन सालों के भीतर ही उनकी कंपनी का टर्न-ओवर 100 करोड़ हो गया।

हम बात कर रहे श्रीधर गुंडया की जो बेंगलुरु के रहने वाले हैं। उनकी लिंकडिन प्रोफाइल से उनकी उद्यमी क्षमता के बारे में बहुत कुछ पता चलता है। अपने नए आईडिया के पहले उन्होंने बहुत सारे बिज़नेस में हाथ आज़माया।

इस काम में हाथ आजमाना बहुत ही पेचीदा काम था

अपने आईडिया की शुरुआत उन्होंने ई -कॉमर्स बिज़नेस से किया। साल 2012 में जब इन्होंने इसे शुरू किया तब तक यह कॉन्सेप्ट भारतीय ई-कॉमर्स उद्योग में आ चुका था। लेकिन ई-कॉमर्स के बिज़नेस में हाथ आजमाना बहुत ही पेचीदा काम था। बड़े -बड़े ऑनलाइन सेलर्स  जैसे अमेज़ॉन, स्नैपडील, फ्लिपकार्ट और कुछ मध्यम स्तर के प्लेयर्स के साथ प्रतिस्पर्धा की बड़ी चुनौतियों से भरा हुआ था। इसके लिए बहुत सारी पूंजी की आवश्यकता थी दुर्भाग्य से श्रीधर के पास उतनी पूंजी थी नहीं।

स्थानीय भाषा में कर सकते थे आर्डर

सभी मुद्दों पर विचार करने के बाद श्रीधर ने कुछ अलग करने की सोची। श्रीधर की ई-कॉमर्स कंपनी दूसरी कंपनियों से थोड़ी अलग थी। अन्य ई-कॉमर्स कंपनियों में आप इंग्लिश का इंटरफ़ेस इस्तेमाल करके सामान आर्डर करते हैं, जबकि श्रीधर की कंपनी से आप स्थानीय भाषा में सामान आर्डर कर सकते हैं।

स्टोरकिंग नाम दिया

अपने इस ई-कॉमर्स कंपनी को श्रीधर ने स्टोरकिंग नाम दिया जो बेंगलुरु में स्थित है। इसमें कन्नड़, तमिल, मलयालम और तेलुगु आदि भाषाओँ में सामान आर्डर करने की सुविधा दी गई है। श्रीधर का यही नया प्रयोग इतना सफल हुआ कि कंपनी लगातार कारोबार का विस्तार कर रही है। तीन साल में यह कंपनी 100 करोड़ के टर्न-ओवर तक पहुँच चुकी है और जल्द ही मध्यप्रदेश में भी यह सर्विस प्रदान करेगी।

यूनिवर्सिटी ऑफ़ ग्रीनविच से की है पढ़ाई

सभी सफलता के पीछे संघर्ष की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और यह बात श्रीधर पर भी लागू होती है। श्रीधर ने बहुत सारे बिज़नेस में हाथ आज़माया उसमे से एक थी युलोप, जो लोकेशन बेस्ड सर्विसेज उपलब्ध कराती थी। श्रीधर ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ ग्रीनविच लंदन से आईटी और कॉमर्स में डिग्री ली है।

2009 में शुरू किया था काम

श्रीधर  ने अपने स्टोरकिंग के आईडिया पर काम करना 2009 में शुरू किया था। जब वह चीन गए थे, वहां उन्होंने यह गौर किया कि ज्यादातर लोग स्थानीय भाषा का प्रयोग करते हैं। वहीं से उन्हें यह आईडिया मिला कि किसी भी बिज़नेस का स्थानीय भाषा में ही विस्तार किया जाना चाहिए। इसके बाद ही इन्होंने स्टोरकिंग की शुरुआत की। यह आईडिया लोगों को भी बहुत पसंद आया। स्टोरकिंग के जरिये लोग अपनी भाषा में सामान आर्डर कर सकते हैं।

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