वाराणसी के चौबेपुर थाना क्षेत्र के सिंहवार के पास गंगा किनारे एक हेक्टेयर में अफीम की खेती होने का मामला सामने आया है. खेती की बनाई गई रील के सहारे नारकोटिक्स की टीम ने इस मामले को पकड़ा. टीम ने मौके पर पहुंचकर इसे नष्ट कराया है. वहीं इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है. नारकोटिक्स और चौबेपुर पुलिस की जांच में जुटी हुई है कि आखिरकार खेती कौन करवा रहा था.
अधिकारियों को सूचना मिली थी कि गंगा किनारे अफीम की खेती की जा रही है. मंगलवार को क्षेत्रीय लेखपाल के साथ टीम ने निरीक्षण किया था. कंफर्म होने के बाद दूसरे दिन बुधवार को लखनऊ नारकोटिक्स विभाग के अधीक्षक एसके सिंह और गाजीपुर के अधीक्षक केके श्रीवास्तव टीम के साथ मौके पर पहुंचे और अफीम की खेती को नष्ट कराया.
वायरल वीडियों पर लिया संज्ञान
अधिकारियों ने बताया कि खेती वाला क्षेत्र राजस्व विभाग गंगबरार दर्ज है, जो सरकारी श्रेणी में आता है. अभिलेख में इस पर किसी का स्वामित्व नहीं है. जांच के समय पता चला कि ग्रामीणों को अफीम की जानकारी नहीं है. ग्रामीणों ने बताया कि कभी कभी एक बाहरी आदमी आता था और फूल तोड़ कर ले जाता था. इससे किसी को कभी कोई संदेह भी नहीं हुआ. हालांकि, चर्चा है कि गांव के एक व्यक्ति ने गंगा किनारे रील बनाई थी, जिसमें अफीम की फसल दिखाई दे रही थी. वायरल वीडियो पर लखनऊ के अधिकारियों ने संज्ञान लिया.
ग्रामीणों के बीच दबी जुबान में यह भी चर्चा है कि चार बीघा में हो रही अवैध खेती बिना किसी लोकल के मदद से नहीं हो सकती. नारकोटिक्स अधिकारियों ने बताया कि व्यक्ति के नाम का पता नहीं चल पाया है. इसकी जांच कराई जा रही है.
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रोडवेज से तोते की तस्करी
वाराणसी कैंट रोडवेज बस स्टैंड के पास वन विभाग ने तोते के 30 नवजात बच्चे बरामद किए. तोते के बच्चे जनरथ एसी बस नंबर यूपी 65 एफटी 1278 में रखे थे. ड्राइवर ने बताया कि बस कानपुर से प्रयागराज होते हुए वाराणसी आई थी. स्टैंड पर सवारियों के उतरने के दौरान झोले से आवाज आने लगी. कंडक्टर और ड्राइवर ने पूछा झोला किसका है तो किसी ने जवाब नहीं दिया.
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वन विभाग को सूचना दी गई. वन सुरक्षा दल टीम के प्रभारी उप क्षेत्रीय वन अधिकारी राजकुमार गौतम, वन रक्षक राहुल कुमार बलवंत, गोविंद कुमार ने तोता लाने वालों की खोज शुरू कर दी है. वन संरक्षक डॉ. रवि सिंह ने बताया कि इस प्रजाति के पक्षी वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत प्रतिबंधित हैं.
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के धारा 9 एवं 51 का उल्लंघन है. इन्हें विभागीय अभिरक्षा में लेकर सारनाथ डीयर पार्क में सुरक्षित रखा गया है. बड़े होने पर इन्हें छोड़ा जाएगा. वहीं तोते के बच्चोंध को सत्तूे का घोल पिलाया जा रहा है.