Varanasi: जानें कौन है, सांपों का दोस्त रतन गुप्ता…

सांपों को मारता देख आया दया का भाव, तबसे बचा रहा है सापों का जीवन

0

देश हो या प्रदेश बारिश का मौसम शुरू होते ही सांपों के निकलने का सिलसिला शुरू हो जाता हैं. सांप की बात सुनते ही आमजन के मन व दिमाग मे भय व्याप्त होने के साथ ही घिग्गी बंध जाती हैं. वहीं सनातन धर्म में सांपों को भगवान शिव का रूप मानकर पूजा भी जाता है.साथ ही विधि विधान के साथ लव और दूध भी चढ़ाया जाता है. सांपों से डरते हम-आप हैं, वहीं प्रदेश में एक ऐसा भी एक युवा शख्स है जो विषधर सांपों का दोस्त है… उसका नाम है रतन गुप्ता उर्फ़ रतन कोबरा.

विषधर खुद ही मांगते हैं जीवन की पनाह

फनधारी सांपों की फुंफकार मारते देख जहां आमजन भागते हैं, वहीं इस शख्स को देख विषधर खुद जीवन की पनाह मांगने लगते हैं. यह शख्स सांपों को बड़े ही आसानी से हाथों से पकड़ लेता हैं. फुंफकार मारने वाले सांपों को हंसते हुए पकड़ उससे खेलने लगता हैं.युवक का कारनामा देख ग्रामीणों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

 

मिर्जामुराद बाजार निवासी है रतन गुप्ता…

बता दें कि रतन गुप्ता वाराणसी के मिर्जामुराद बाजार का रहने वाला है. यहां पर रतन काफी समय से घरेलू- उपकरण बनाने का काम कर रहा है. रतन बाजार में ही हाइवे किनारे गैस-चूल्हा, कूकर बनाने के साथ घड़ी-चश्मा और झंडा बेचने की दुकान चलाते हैं. युवा दुकानदार पिछले 25 वर्षों से बगैर किसी तंत्र-मंत्र विद्या के शौकिया हाथों से सांपों को पकड़ने (snake catcher in varanasi) का काम करते हैं.

15 हजार से अधिक सांपों को पकड़ा…

जर्नलिस्ट कैफ़े की बातचीत में उन्होंने बताया कि अब तक अपने जीवन काल में वह 15 हजार से अधिक सांपों को पकड़ चुके हैं. सांपों को पकड़ने के बाद उन्हें सुरक्षित घने जंगलों में छोड़ दिया जाता है. वहीं उन्होंने यह भी जानकारी दी इस दौरान कई सांप उन्हें डस भी चुके हैं लेकिन उन पर उनके जहर का कोई असर नहीं हुआ.

सांपों को मारते देख आया मन में विचार…

बातचीत में उन्होंने बताया कि पढ़ाई के दौरान जब वह चूने के बने मकान में किराये पर रहते थे तब उस मकान में काफी सांप निकलते थे. उसी दौरान उनके द्वारा सांपों के पकड़ने का जो सिलसिला शुरू हुआ वह देखते –देखते काफी फैल गया. आस-पास के लोग भी सांपों को पकड़ने के लिए बुलाने लगे और इस काम को करने में उसका मन भी लगने लगा. रतन गुप्ता ने बताया कि बचपन में जब लोग सांपों को लाठी-डंडा से मारते देखा तो मन में सांपों को बचाने का भाव जागा और तभी से वह सांपों को बचाकर नया जीवन दे रहे हैं.

पर्यावरण संरक्षण में भूमिका निभाते हैं सांप

रतन गुप्ता ने बताया कि सांप पर्यावरण में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. यदि जमीन में सांप नहीं होंगे तो पर्यावरण में काफी नुकसान हो सकता है. खेतों में फसल नहीं पैदा हो सकती है क्योंकि खेतों में चूहों की संख्या अधिक होती है और सांप चूहों को खाकर फसल के नुकसान को बचाता है.

 

वाराणसी की पहड़िया मंडी में पिकअप के धक्के से महिला की मौत

बनारस में पाए जाते हैं इतने प्रकार के सांप…

बातचीत में उन्होंने बताया कि बनारस क्षेत्र में 16 प्रजाति के सांप पाए जाते हैं. इसमें केवल दो ही ऐसे प्रजाति है जो जहरीली है बाकि सभी प्रजातियां जहरीली नहीं है. इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि इन जहरीली प्रजातियों में कॉमन क्रेड , स्पेडिकल कोबरा ( नागराज ) है जो कि पूरे भारत ही नहीं बल्कि पूरे एशिया में पाई जाती है.

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More