वाराणसी: 15 से 25 से होगी चरथ भिक्खवे यात्रा की शुरूआत, जाने कहां
वाराणसी में चरथ भिक्खवे यात्रा का आयोजन..
वाराणसी में चरथ भिक्खवे यात्रा 15 से 25 अक्टूबर को आयोजित होगी. यह एक विशिष्ट साहित्यिक और सांस्कृतिक यात्रा है, जो भारत और नेपाल के पवित्र बौद्ध परिपथ पर आधारित है. बता दें बुद्ध का सार्वभौमिक धर्म इसी हिंदी अंचल से उत्पन्न हुआ था. जहां उन्होंने ज्ञान प्राप्ति के बाद आधी शताब्दी तक विचरण किया. यह यात्रा उन रास्तों का अनुसरण करेगी, जिन पर भगवान बुद्ध ने अपने उपदेशों के माध्यम से करुणा, शांति, प्रेम और विश्वबंधुत्व का संदेश दिया था. बुद्ध का उपदेश कि ” बैर से बैर का शमन नहीं होता, अबैर से बैर का शमन होता है “. इस यात्रा का मुख्य आधार है.
इस यात्रा का उद्देश्य
यात्रा का नाम और प्रेरणा भगवान बुद्ध के शाश्वत संदेश से ली गई है. चरथ भिक्खवे चारिकं बहुजन हिताय बहुजन सुखाय…” “भिक्षुओं, बहुजन के हित और सुख के लिए भ्रमण करो. बुद्ध का यह आह्वान ज्ञान, करुणा और संवाद के प्रसार का प्रतीक है. इस यात्रा का उद्देश्य प्रतिभागियों को बुद्ध की गहन शिक्षाओं से जोड़ना है. जिससे वे अहिंसा, प्रेम, और सहानुभूति के सिद्धांतों को आत्मसात कर सकें.
यात्रा के कार्य
यह यात्रा एक सचल कार्यशाला के रूप में भी कार्य करेगी, जिसमें कवि, लेखक, कलाकार और विद्वान विभिन्न स्थलों पर संगोष्ठियों में भाग लेंगे. जिससे सांस्कृतिक संवाद और विचार-विमर्श को प्रोत्साहन मिलेगा. इनमें अरुण कमल (पटना), अनामिका (दिल्ली), रमाशंकर सिंह (दिल्ली) गगन गिल (दिल्ली) रंजना अरगड़े (भोपाल) प्रकाश उदय (बनारस) आदि प्रमुख नाम शामिल हैं.
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इस यात्रा के दौरान विभिन्न स्थलों पर बौद्ध विचारधारा पर आधारित कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. बुद्ध की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिए कुशीनगर (2019), लुंबिनी (2020), बोधगया (2022), सारनाथ (2023) और अब 2024 में समूचे बौद्ध परिपथ पर यह यात्रा आयोजित हो रही है. इन आयोजनों का उद्देश्य बुद्ध के ज्ञान, शांति, और मैत्री के संदेश को आगे बढ़ाना है. बुद्ध के विचार जैसे करुणा, प्रेम और मैत्री को आत्मसात कर के ही आधुनिक समाज के संघर्ष और विभाजन की समस्याओं का समाधान खोजा जा सकता है.
इस यात्रा का महत्व
चरथ भिक्खवे यात्रा केवल बौद्ध स्थलों की परिक्रमा नहीं है, बल्कि एक आंतरिक यात्रा भी है. इसके मूल में आज के समाज के लिए जरूरी करुणा, मैत्री प्रेम संवाद तथा सह-अस्तित्व जैसे मूल्यों की स्थापना है. आज की दुनिया में जब विभाजन और संघर्ष बढ़ रहा है, बुद्ध के सद्भाव, अहिंसा, और करुणा के संदेश की प्रासंगिकता पहले से कहीं अधिक हो गई है.
यह यात्रा प्रतिभागियों को विभिन्न समुदायों के साथ संवाद और विचारों के आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करेगी. जिससे एक सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आत्मचिंतन का मार्ग प्रशस्त होगा. आज जब विभाजन और संघर्ष बढ़ रहा है, बुद्ध के सद्भाव, अहिंसा और करुणा के संदेश की प्रासंगिकता पहले से कहीं अधिक हो गई है.
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चरथ भिक्खवे के माध्यम से आत्मचिंतन
चरथ भिक्खवे यात्रा सिर्फ बुद्ध के जीवन और उनके उपदेशों का महज अनुसरण नहीं, बल्कि शांति, करुणा, और सद्भावना के उनके संदेश पर गहन आत्मचिंतन का अवसर है. यह यात्रा उन पवित्र स्थलों पर जाकर संवाद, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, और वैश्विक सौहार्द को प्रोत्साहित करेगी. जहां भगवान बुद्ध ने मानवता के कल्याण के लिए अपने विचारों का प्रसार किया था. इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य इन शिक्षाओं को न केवल भारतीय समाज बल्कि वैश्विक संदर्भ में पुनः स्थापित करना है.
यह यात्रा सारनाथ से आरम्भ होगी, तथा बोध गया, नालंदा, राजगीर, वैशाली, केसरिया, कुशीनगर, लुम्बिनी, कपिलवस्तु, श्रावस्ती, कौशाम्बी से होते हुए पुनः सारनाथ पर खत्म होगी.