BHU में बोले अमित शाह, इतिहास ने स्कंदगुप्त के साथ की नाइंसाफी

0

बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व यानी नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बारे में कहा जाता है, वो हमेशा कुछ नया करने में विश्वास रखते हैं।

गुरुवार को भी वाराणसी में कुछ ऐसा ही देखने को मिला जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सदियों से इतिहास के पन्ने में दबे रहने वाले गुप्त वंश के राजा स्कन्दगुप्त के पराक्रम की गाथा सुनाई।

उन्होंने कहा कि इतिहास में स्कन्दगुप्त के साथ नाइंसाफी की गई। स्कन्दगुप्त की वीरता की जितनी प्रशंसा होनी चाहिए, शायद उतनी नहीं हुई।

इतिहास की होनी चाहिए दोबारा समीक्षा-

स्कन्दगुप्त के बहाने अमित शाह ने वामपंथी विचारधारा पर हमला किया। उनके निशाने पर वामपंथी इतिहासकार थे, जिन्होंने एक खास वर्ग का महिमामंडन किया।

शायद यही कारण है कि शाह ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि इतिहास की दोबारा समीक्षा की जाए। अमित शाह ने कहा कि भारतीय इतिहास के पुनर्लेखन की जरूरत है।

इसके लिए हमें ही आगे आना होगा। इसमें इतिहासकारों की बड़ी भूमिका है। अगर हम अब तक अपने इतिहास की दोबारा समीक्षा नहीं कर सके तो यह हमारी कमजोरी है।

कौन थे राजा स्कन्दगुप्त ?

अब सवाल ये है स्कन्दगुप्त आखिर कौन थे, जिनके ऊपर व्याख्यान देने के लिए अमित शाह वाराणसी पहुंचे। इतिहासकारों के मुताबिक स्कन्दगुप्त गुप्त वंश से ताल्लुक रखते थे।

इनके पिता कुमार गुप्त गुप्त वंश के सबसे प्रतापी राजा चंद्रगुप्त के उत्तराधिकारी थे। पिता की मृत्यु के बाद स्कंदगुप्त ने पाटलिपुत्र की गद्दी संभाला।

जिस वक्त स्कन्दगुप्त राजा बने उसी दौरान चीन के उत्तरी सीमा पर बसे हूणों ने भारत पर आक्रमण कर दिया था। कहा जाता है कि स्कन्दगुप्त ने हूणो से लोहा लिया और हिंदुस्तान के सरहद की रक्षा की।

यह भी पढ़ें: आतंकी संगठनों के निशाने पर मोदी, शाह और डोभाल

यह भी पढ़ें: सुरक्षाबलों ने बड़ी कामयाबी, मारा गया पुलवामा हमले का साजिशकर्ता

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More