वाराणसी : धनतेरस पर भक्तों के लिए खुला अन्नपूर्णा मां का खजाना

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आध्यात्म और संस्कृति के केंद्र के रूप में दुनिया में पहचान रखने वाली नगरी वाराणसी में 5 दिनों तक चलने वाले दीपोत्सव का शुभारंभ हो चुका है।

मां के दर्शन के लिए पहुंच रहे लोग-

पहले दिन धनतेरस के खास मौके पर स्वर्णमयी अन्नपूर्णा माता के दर्शन के लिए लोगों का हुजूम उमड़ा हुआ है।

मां के दर्शन के लिए दूर दराज से लोग आए हुए हैं।

आलम ये है कि लोग रात से ही मंदिर के बाहर घंटों से लाइन में खड़े हैं।

भक्तों के लिए खुलता है मां का खजाना-

अन्नपूर्णा का यह मंदिर देश का इकलौता है जहां धनतेरस से अन्नकूट तक मां का इस रूप में दर्शन मिलता है।

प्रसाद के तौर पर मंदिर से मिले सिक्के और धान के लावा को लोग तिजोरी और पूजा स्थल पर रखते हैं।

मान्यता है कि ऐसा करने से पूरे वर्ष धन और अन्न की कमी नहीं होती।

यही कारण है कि धनतेरस के एक दिन पहले ही विश्वनाथ मंदिर परिसर में स्थित अन्नपूर्णा मंदिर के बाहर श्रद्धालु डट गए।

दर्शन के लिए आये भक्तों की कतार का आलम यह था कि एक लाइन बांसफाटक से गोदौलिया को छू रही है वही दूसरी कतार बांसफाटक से ज्ञानवापी को जा रही है।

इस मौके पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए हैं।

दर्शन को लेकर ये है मान्यता-

मंदिर के मुख्य महन्त रामेश्वरपुरी ने बताया कि मां अन्नपूर्णा ही अन्न की अधिष्ठात्रि हैं।

स्कन्दपुराण के ‘काशीखण्ड’ में उल्लेख है कि भगवान विश्वेश्वर गृहस्थ हैं और भवानी उनकी गृहस्थी चलाती हैं।

अत: काशीवासियों के योग-क्षेम का भार इन्हीं पर है।

इसके अलावा ‘ब्रह्मवैवर्त्तपुराण’ के काशी-रहस्य के अनुसार भवानी ही अन्नपूर्णा हैं।

सामान्य दिनों में अन्नपूर्णा माता की आठ परिक्रमा की जाती है।

प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन देवी के निमित्त व्रत रह कर उनकी उपासना का विधान है।

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