बनारस के कृषि वैज्ञानिकों का ‘चमत्कार’, दिया सब्जी खेती का सबसे हिट फॉर्मूला

बनारस के कृषि वैज्ञानिकों का ‘चमत्कार’, दिया सब्जी खेती का सबसे हिट फॉर्मूला

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एक तरफ कृषि बिल को लेकर कोहराम मचा हुआ है तो दूसरी ओर भारतीय सब्जी अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने सब्जी की खेती का ऐसा हिट फॉर्मूला दिया है, जिसे अपनाकर कोई भी किसान मालामाल हो सकता है।

आईआईवीआर के वैज्ञानिकों ने एक ही पौधे में टमाटर और बैगन की फसल उगाकर किसानों को हैरत में डाल दिया है। माना जा रहा है कि उनका ये प्रयोग सफल रहा तो ये किसानों के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।

ग्राफ्टिंग विधि से हुआ ‘चमत्कार’-

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के शहंशाहपुर में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में शोध के बाद एक ऐसे पौधे हुआ है जिसमें दो अलग-अलग पौधे लग रहे हैं। ग्राफ्टिंग विधि द्वारा आलू बैगन एक पौधे में और टमाटर बैगन एक ही पौधे में उगाया जा रहे हैं।

दरअसल ग्राफ्टिंग विधि के द्वारा पहले टमाटर के पौधे में बैगन के पौधे को कलम करके उसे एक ही पौधे में उगाया जा रहा है। इस शोध को करने वाले संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ आनंद बहादुर सिंह ने बताया कि ऐसे विशेष पौधे तैयार करने के लिए 24-28 डिग्री तापमान में 85 प्रतिशत से अधिक आर्द्रता और बिना प्रकाश के नर्सरी अवस्था में तैयार किया जाता है।

ग्राफ्टिंग के 15-20 दिन बाद खेत में बोया जाता है। ठीक मात्रा में उर्वरक, पानी और कांट छांट के बाद ये पौधे रोपाई के 60-70 दिन बाद फल देते है।

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सात साल के शोध के बाद मिली कामयाबी

वैज्ञानिकों को ग्राफ्टिंग तकनीक पर शोध करने में सात साल से अधिक का वक्त लग गया। ग्राफ्टिंग तकनीक का प्रयोग 2013-14 में शुरू हुआ। इस विधि का प्रयोग खासकर उन इलाकों के किसानों को होगा, जहां बरसात के बाद काफी दिनों तक पानी भरा रहता है।

फिलहाल शुरुआती तौर पर इस पौधे को शहर में रहने वाले उन लोगों के लिए तैयार किया गया है। जिनके पास जगह कम है और वो बाजार की रसायन वाली सब्जियों से बचना चाहते हैं। मसलन टेरिस गार्डन के शौकीन लोगों के लिए यह खास माना जा रहा है।

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टमाटर और बैगन के अलावा आलू और टमाटर पर भी शोध किया गया है। जड़ के अंदर आलू की फसल है तो तने पर टमाटर लटक रहे हैं। फिलहाल वैज्ञानिकों ने इसे पोमैटो नाम दिया है। फिलहाल एक पेड़ से करीब 3 किलो से ज्यादा बैंगन और दो किलो टमाटर लगते हैं।

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