बनारस में दिखा गाजीपुर बॉर्डर जैसा नजारा, सुर्खियों में सपा नेता के घर के बाहर ‘किलेबंदी’

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कृषि बिल के विरोध में हजारों किसान पिछले दो महीनों से दिल्ली की सरहद पर डटे हैं। इस बीच 26 जनवरी को दिल्ली में हुए हिंसक झड़प से सबक लेते हुए पुलिस ने गाजीपुर, टिकरी और सिंधु बार्डर पर लोहे की किल के साथ बैरिकेडिंग की तो पूरे देश में हंगामा खड़ा हो गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में दिल्ली पुलिस के इस कदम का अनूठे तरीके से विरोध देखने को मिला है। यहां पर समाजवादी पार्टी के एक पार्षद ने अपने घर के बाहर कुछ उसी अंदाज में किलेबंदी की है, जैसा दिल्ली की सीमाओं पर देखने को मिल रहा है।

दिल्ली पुलिस के विरोध में प्रदर्शन-

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लक्सा इलाके के पार्षद रविकांत विश्वकर्मा की गिनती सपा के मुखर नेताओं में होती है। चाहे स्थानीय मुद्दे हों या फिर देशव्यापी, रविकांत अपने अनूठे विरोध प्रदर्शन के चलते चर्चाओं में रहते हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है।

कृषि बिल के समर्थन में उतरे रविकांत किसानों के साथ दिल्ली पुलिस के बर्ताव से आहत हैं। विरोध दर्ज कराने के लिए उन्होंने लोहे की किल से अपने घर के रास्ते को बंद कर दिया। यही नहीं घर के बाहर एक नोट भी चस्पा कर दिया, जिसमें बीजेपी नेताओं के लिए नो एंट्री लिखा है।

रविकांत विश्वकर्मा का कहना है कि कड़ाके की ठंड में किसान पिछले दो महीनों से अपने मांगों को लेकर आंदोलन कर रही है। लेकिन बीजेपी सरकार आंदोलन को कुचलना चाहती है। मुगल शासनकाल की तरह विरोधस्थल के बाहर किलेबंदी कर दी गई है।

बीजेपी नेताओं के लिए बंद किए दरवाजे-

प्रदर्शनकारी अर्चना विश्वकर्मा कहती हैं कि सरकार की गलत नीतियों के कारण देश का अन्नदाता आंदोलन की राह पर है। हमारा भी दायित्व बनता है कि हम नैतिकता के आधार पर उनका समर्थन करें। यही कारण है कि हमने अपने घर के दरवाजे बीजेपी नेताओं के लिए बंद कर दिए हैं।

बता दें कि एक बार फिर किसान 6 फरवरी को मार्च निकालने का एलान कर चुके हैं। सियासी पार्टियों ने भी अपना समर्थन देना शुरू कर दिया है।

वाराणसी में भी कांग्रेस व सपा नेता 6 फरवरी को किसानों के समर्थन में सड़कों पर उतरने की तैयारी में हैं। माना जा रहा है कि चक्काजाम का असर वाराणसी में भी देखने को मिल सकता है।

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