अफगानिस्तान में आतंकियों के खिलाफ प्रतिबंध का हथियार की तरह इस्तेमाल करें’
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से अफगानिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ प्रतिबंधों को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करने और शांति प्रकिया को गति देने को कहा है।
आतंकवादी अपनी अवैध गतिविधियों द्वारा जुटा रहे हैं
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने सोमवार को कहा, “सुरक्षा परिषद को उस धन पर लगाम लगानी चाहिए जो अफगानिस्तान में आतंकवादी अपनी अवैध गतिविधियों द्वारा जुटा रहे हैं।”
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जिसे 1988 के नाम से जाना जाता है
उन्होंने कहा कि ये प्रतिबंध 2011 में तालिबान के खिलाफ परिषद द्वारा अपनाए गए प्रस्ताव के तहत लगाए जा सकते हैं, जिसे 1988 के नाम से जाना जाता है। ये महत्वपूर्ण हथियार हो सकते हैं और इनका पूरा लाभ उठाया जाना चाहिए।
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जिन पर देश की जनता का अधिकार है
उन्होंने कहा कि भारत चाहता है कि सुरक्षा परिषद देखे कि प्रतिबंधों का इस्तेमाल शांति प्रक्रिया आगे बढ़ाने की दिशा में कैसे किया जा सकता है।अकबरुद्दीन ने कहा, “ये आतंकवादी समूह अफगानिस्तान के संसाधानों का दोहन कर रहे हैं, जिन पर देश की जनता का अधिकार है।”
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किसी भी प्रकार तर्कसंगत नहीं ठहराया जाना चाहिए
उन्होंने कहा, “भारत के खिलाफ काम करने वाले लश्कर-ए-तैयबा व जैश-ए-मोहम्मद और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संचालित हक्कानी नेटवर्क, अलकायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी संगठनों के बीच कोई फर्क नहीं किया जाना चाहिए।”उन्होंने कहा, “उनके साथ केवल आतंकवादी संगठनों जैसा ही व्यवहार किया जाना चाहिए और उनकी गतिविधियों को किसी भी प्रकार तर्कसंगत नहीं ठहराया जाना चाहिए।”
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