यूपी सौर ऊर्जा नीति मंजूर, 5 वर्षों में 22 हजार मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य

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सौर ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश की संभावनाओं को तलाशने के साथ-साथ कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने की दोहरी मंशा से योगी आदित्यनाथ सरकार नई सौर ऊर्जा नीति लेकर आई है। बुधवार को राज्य कैबिनेट ने नई सौर ऊर्जा नीति को मंजूरी प्रदान की। नई नीति में गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से बिजली उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया गया है और अगले पांच वर्षों में 22 हजार मेगावाट उत्पादन क्षमता हासिल करने का लक्ष्य तय किया गया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य सरकार अगले पांच वर्षों में 7698 करोड़ रुपये विभिन्न मद में खर्च करेगी।

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जानें रूफटॉप परियोजनाओं के बारे में…

इसमें सौर पार्कों की स्थापना के माध्यम से 14,000 मेगावाट, आवासीय क्षेत्रों में रूफटॉप सौर परियोजनाओं के माध्यम से 4,500 मेगावाट, गैर-आवासीय रूफटॉप परियोजनाओं के माध्यम से 1,500 मेगावाट और पीएम कुसुम योजना के माध्यम से 2,000 मेगावाट का उत्पादन शामिल है। यूपी सोलर पॉलिसी-2022 पांच साल के लिए लागू होगी। इसके तहत केंद्र से वित्तीय सहायता के अलावा, राज्य सरकार के 15,000 रुपये प्रति किलोवाट, अधिकतम 30 हजार रुपये प्रति उपभोक्ता तक के योगदान को मंजूरी दी गई है। सरकारी भवनों और सभी शिक्षण संस्थानों को नेट मीटरिंग सिस्टम पर रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाने की अनुमति दी गई है। पृथक कृषि फीडर कुसुम सी-2 के सोलराइजेशन के लिए नीति में 50 लाख रुपये प्रति मेगावॉट वायबिलिटी गैप फंडिंग का प्रावधान है। निजी ऑन-ग्रिड पंप के सोलराइजेशन के लिए मुसहर, वनटांगिया और अनुसूचित जाति के किसानों के लिए 70 प्रतिशत की सब्सिडी और अन्य किसानों के लिए 60 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान की गई है।

पॉलिसी के पांच साल के दौरान कुल 1,000 करोड़ रुपए दिए जा सकते हैं। पॉलिसी में बिजली खरीद समझौते, यूटिलिटी स्केल सौर ऊर्जा परियोजनाओं, स्टैंड-अलोन बैटरी सिस्टम और 4 घंटे की क्षमता वाले 5 मेगावाट से अधिक की भंडारण प्रणाली के साथ-साथ 2.5 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट की सब्सिडी दी गई है। सरकारी उपक्रमों द्वारा ग्राम पंचायत अथवा राजस्व भूमि पर सोलर पार्कों की स्थापना हेतु 30 वर्ष के लिए एक रुपये प्रति एकड़ प्रतिवर्ष की दर से तथा निजी क्षेत्र की कम्पनियों को 30 वर्ष तक 15 हजार रुपये प्रति एकड़ भूमि उपलब्ध करायी जायेगी। खरीदी या लीज पर ली गई जमीन पर स्टांप शुल्क में 100 प्रतिशत की छूट दी जाएगी, जबकि सौर ऊर्जा से बिजली पैदा करने वाले संयंत्रों को 10 साल के लिए बिजली शुल्क से छूट दी जाएगी।

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